COP26 सम्मेलन : जानिये आखिर ग्रेटा थनबर्ग ने वैश्विक नेताओं पर क्यों लगाया जलवायु परिवर्तन पर गंभीर ना होने का आरोप?

परिवर्तन को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में वैश्विक नेताओं से तत्काल कार्रवाई की मांग को लेकर कई युवाओं सहित हजारों प्रचारकों और जलवायवीय कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को ग्लासगो की सड़कों पर मार्च किया। उन्होंने सम्मेलन में किए गए बड़े पैमाने पर स्वैच्छिक प्रस्तावों का विरोध किया और विश्व के नेताओं पर सबसे बड़े प्रदूषकों को बाहर करने या विनाशकारी जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर दशकों की समय-सीमा निर्धारित करने का आरोप लगाया।

स्वीडिश जलवायवीय कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने एक सम्मेलन में रैली रैली को सम्बोधित करते हुए स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आयोजित वैश्विक COP26 सम्मेलन को एक विफल सम्मलेन करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कोई रहस्य नहीं है कि COP26 एक विफल सम्मेलन रहा है।” उन्होंने साफ तौर पर COP26 सम्मलेन में मौजूद तमाम राष्ट्राध्यक्षों पर यह आरोप लगाया कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर केवल बड़ी-बड़ी बातें और वायदें किये जाते हैं जबकि किसी भी देश की सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है।

थनबर्ग ने अपने सम्बोधन में कहा कि पेरिस जलवायु समझौते में निर्धारित लक्ष्य से नीचे रहने के लिए वार्षिक कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए तत्काल ऐसे कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है, जैसा कि दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा हो। उन्होंने आगे कहा कि यह स्पष्ट होना चाहिए कि हम संकट को उसी तरीके से हल नहीं कर सकते हैं जो प्रदुषण फैलाने वालों की श्रेणी में आपको पहले स्थान पर ले गया था। ज्यादा से ज्यादा लोग इस बात को समझने लगे हैं और कई लोग तो खुद से पूछने लगे हैं कि सत्ता में बैठे लोगों को जगाने के लिए क्या करना चाहिए?

उन्होंने कहा कि COP-26 महज एक जनसम्पर्क आयोजन था जहां नेता सुंदर भाषण दे रहे थे। पर्दे के पीछे फैंसी प्रतिबद्धताओं और लक्ष्यों की घोषणा कर रहे थे जबकि उत्तर के वैश्विक देशों की सरकारें किसी भी कठोर जलवायु कार्रवाई से इनकार कर रही हैं। ऐसा लगता है कि उनका मुख्य लक्ष्य यथास्थिति के लिए लड़ना जारी रखना है। थनबर्ग ने COP26 सम्मलेन को अब तक का सबसे बहिष्कृत सम्मलेन बताया। उन्होंने कहा कि यह अब जलवायु सम्मेलन नहीं है यह अब एक वैश्विक उत्तर ग्रीनवॉश उत्सव है।

सम्बोधन के दौरान ग्रेटा थनबर्ग ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अब हमें खुद से यह सवाल पूछना चाहिए कि ‘हम किस लिए लड़ रहे हैं?’ क्या हम खुद को और धरती को बचाने के लिए लड़ रहे हैं या हम हमेशा की तरह व्यापार को बनाए रखने के लिए लड़ रहे हैं। वो सभी अपनी शक्ति को बढ़ाने के लिए हमारी चीखों को अनदेखा नहीं कर सकते। ऐसा लग रहा है कि हमारे नेता नेतृत्व नहीं कर रहे हैं क्योंकि इस तरह के जनसम्पर्क आयोजन से यही प्रतीत होता है।

बता दें कि विनाशकारी जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में वैश्विक नेताओं से तत्काल कार्रवाई की मांग को लेकर कई युवाओं सहित हजारों प्रचारकों और जलवायवीय कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को ग्लासगो की सड़कों पर मार्च किया। उन्होंने सम्मेलन में किए गए बड़े पैमाने पर स्वैच्छिक प्रस्तावों का विरोध किया और विश्व के नेताओं पर सबसे बड़े प्रदूषकों को बाहर करने या विनाशकारी जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर दशकों की समय-सीमा निर्धारित करने का आरोप लगाया।

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