
कानपुर देहात के सिंचाई विभाग में बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने आरटीआई डाल कर जानना चाहा कि सिंचाई विभाग में 2017 से 2021 तक सहायक अभियंता प्रथम किस गाड़ी से चली है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने जवाब दिया कि विभाग मे नियमित रूप से कोई गाड़ी नही यूज़ की है। जबकि लाकबुक ट्रेवल एजेंसी के बिल बयान कर रहे है कि सिचाई विभाग में नियमित रूप से गाड़ी इस्तेमाल की गयी है। इतना ही नही एक महीने का गाड़ी का भुगतान 93 हज़ार रुपये तक किया गया है जो दर्शाता है कि सरकारी रुपयों का किस तरह दुरुपयोग किया गया है। फिलहाल पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
कानपुर देहात में एक आरटीआई ने पूरे सिचाई विभाग के अधिकारियों के मुह पर ताला लगा दिया है। उस आरटीआई का झूठा जवाब कागज़ों में तो दे दिया लेकिन आरटीआई का गलत जवाब देना सिचाई विभाग के अधिकारियों को भारी पड़ गया। दरअसल आरटीआइ ऐक्टिविस्ट आशीष द्रिवेदी ने आरटीआई के माध्यम से पूछा कि सन 2017 से 2021 तक कानपुर देहात सिचाई विभाग की सहायक अभियंता प्रथम तनुश्री मिश्रा किस गाड़ी से चली है क्या कोई कॉमर्शियल वाहन हायर किया गया था क्या नियमित रूप से कोई गाड़ी सिचाई विभाग ने लगाई थी। सिचाई विभाग के अधिकारियों ने लिखित जवाब दिया कि विभाग ने नियमित रूप से कोई गाड़ी नही लगाई थी यानी जब यदा कदा ज़रूरत होती थी तो गाड़ी मंगा ली जाती थी। किसी भी ट्रेवल एजेंसी या गाड़ी मंगाने के सोर्सेस को मेंशन नही किया। हमने जानकारी की क्या वाकई सिचाई विभाग के अधिकारियों का जवाब सही है। हमारी पड़ताल में जो सच सामने आया उसने सिचाई विभाग के अधिकारियों की कलई खोल कर रख दी।
दरअसल सहायक अभियंता प्रथम तनुश्री मिश्रा जिस गाड़ी से चली थी वो गाड़ी श्रद्धा ट्रेवल से नियमित रूप से हायर की गयी थी। इतना ही नही एक महीने का 93 हज़ार रुपयों का भुगतान हुआ था। लाकबुक में गाड़ी 200 दो सौ किलोमीटर रोज़ाना चल रही थी। जबकि 2019 से 2021 तक कोरोना काल रहा। मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों को आदेशित किया था कि कोरोना काल मे कम से कम गाड़ी चलाए। लेकिन सहायक अभियंता प्रथम तनुश्री मिश्रा उस दौरान भी रोज़ाना 200 दो सौ किलोमीटर गाड़ी दौड़ा रही थी ये हम नही कह रहे हैं बल्कि गाड़ी की लॉक बुक बयान कर रही है, भुगतान किए गए बिल बयान कर रहे है जिस पर एक्सईएन ओर सहायक अभियंता प्रथम तनुश्री मिश्रा के साइन है। इस बाबत हमने मुख्य अभियंता से लेकर कानपुर देहात के एक्सईएन तक से बात करनी चाही लेकिंन सिचाई विभाग के सभी अधिकारी हमारे कैमरे से भागते रहे। बड़ा सवाल 93 हज़ार का भुगतान करते वक्त अधिकारियों को नज़र नही आया कि आख़िर कौन सी गाड़ी थी जिसका एक महीने का किराया 93 हज़ार था। लेकिन शायद सरकारी पैसों की चकाचौंध ने उन्हें धृतराष्ट्र बना दिया था हालात बयान कर रहे है और कहने पर मजबूर कर रहे है कि मुख्य अभियंता से लेकर कानपुर देहात के एक्सईएन तक की भूमिका संदिग्ध है फिलहाल मामला जिलाधिकारी नेहा जैन के संज्ञान में है और उन्होंने जांच के आदेश दे दिए हैं।









