आज भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लेह लद्दाख पहुंचे। जहां उन्होंने 1962 की जंग में हिस्सा लेने वाले सेना के जवानों को रेजांग ला में श्रद्धांजलि दी। साथ ही नया युद्ध स्मारक देश को समर्पित किया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 1962 की लड़ाई के वीर यौद्धा की व्हील चेयर खुद संभाली। राजनाथ सिंह ने कहा-मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे रेज़ांग ला की लड़ाई में बहादुरी से लड़े ब्रिगेडियर (रिटा.) आरवी जटार से भेंट करने का अवसर मिला।
इस दौरान रक्षा मंत्री ने कहा, 114 वीर जवानों ने जान देकर इस सीमा की रक्षा की है। वो केवल एक बहादुर सैनिक नहीं थे बल्कि एक आध्यात्मिक पुरुष थे क्योकि देश के लिए बलिदान वही दे सकता है जिसका मन बड़ा होगा। मैं उन्हें नमन करता हूं। 114 वीर जवानों ने जान देकर इस सीमा की रक्षा की है। वो केवल एक बहादुर सैनिक नहीं थे बल्कि एक आध्यात्मिक पुरुष थे क्योकि देश के लिए बलिदान वही दे सकता है जिसका मन बड़ा होगा। मैं उन्हें नमन करता हूं।
रक्षा मंत्री ने कहा, आज लद्दाख़ की दुर्गम पहाड़ियों के बीच स्थित रेजांग ला पहुँच कर 1962 की लड़ाई में जिन 114 भारतीय सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था, उन बहादुर सैनिकों की स्मृतियों को नमन किया। रेज़ांग ला का युद्ध, विश्व की दस सबसे महान और चुनौतीपूर्ण सैन्य संघर्षों में से एक माना जाता है। रेज़ांग ला का ऐतिहासिक युद्ध 18,000 फीट की ऊँचाई पर जिन विषम परिस्थितियों में लड़ा गया उसकी कल्पना करना भी आज मुश्किल है। मेज़र शैतान सिंह तथा उनके साथी सैनिक ‘आखिरी गोली और आखिरी साँस’ तक लड़े एवं बहादुरी और बलिदान का नया अध्याय लिखा।