
ग्रेटर नोएडा में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गोली मारने की धमकी को लेकर अदालत ने सख्त रुख अपनाया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में युवक ने यह धमकी दी थी, जो आगरा में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान दी गई थी। गौतमबुद्ध नगर द्वितीय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सूरजपुर थाना को FIR दर्ज करने का आदेश दिया है।
यह याचिका एडवोकेट और समाजवादी पार्टी के नेता रामशरण नागर द्वारा दायर की गई थी। वीडियो में अमरेन्द्र प्रताप सिंह और उसके साथियों पर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री को धमकी दी थी। अदालत ने सोशल मीडिया पोस्ट को राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी मानते हुए इस मामले को गंभीर माना और तकनीकी जांच के बाद एफआईआर दर्ज करने की आवश्यकता जताई। न्यायालय ने जांच रिपोर्ट एक सप्ताह में प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
कोर्ट का आदेश: एफआईआर दर्ज करने का निर्देश
गौतमबुद्ध नगर के द्वितीय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सूरजपुर थाना पुलिस को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। इस मामले की याचिका एडवोकेट और समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता रामशरण नागर ने बीएनएससी की धारा 173(4) के तहत दायर की थी। वीडियो में अमरेन्द्र प्रताप सिंह और उसके साथियों पर पूर्व मुख्यमंत्री को धमकी देने का आरोप है।
कोर्ट का ध्यान सोशल मीडिया पोस्ट की ओर
अदालत ने इस मामले को गंभीर मानते हुए सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट को राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी माना। कोर्ट ने मामले की तकनीकी जांच और साक्ष्यों के आधार पर एफआईआर दर्ज करना जरूरी माना। साथ ही, जांच रिपोर्ट को एक सप्ताह के भीतर अदालत में प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
वीडियो में आरोप
वीडियो में अमरेन्द्र प्रताप सिंह और उसके साथियों पर पूर्व मुख्यमंत्री को धमकी देने का आरोप है। अदालत ने सोशल मीडिया पोस्ट को राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी मानते हुए मामले को गंभीर बताया।
क्षेत्राधिकार और जीरो एफआईआर का आदेश
कोर्ट ने इस मामले में जांच के दौरान क्षेत्राधिकार के मुद्दे पर भी ध्यान दिया। यदि जांच के दौरान यह समस्या सामने आती है, तो जीरो एफआईआर दर्ज करके मामले को अन्य पुलिस थानों में ट्रांसफर किया जा सकेगा।









