
Varanasi: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में विभिन्न विभागों और केंद्रों में शोध प्रवेश परिणाम जारी होने के साथ ही शिकायतों का अंबार लगने लगा है। ऐसा ही एक मामला तब चर्चा में आ गया जब मालवीय सेंटर फॉर पीस रिसर्च में शोध प्रवेश में गड़बड़ी को लेकर एक दलित छात्र कुलपति आवास के बाहर अकेले धरने पर बैठ गया। छात्र शिवम सोनकर का आरोप है, कि विभाग सामान्य श्रेणी में दूसरा स्थान आने के बाद भी उसका एडमिशन नहीं लिया गया। वही विभाग के द्वारा शोध के 7 सीटों पर प्रवेश लेना था, जबकि मात्र 4 सीट पर एडमिशन लिया गया और 3 सीट रिक्त रखा गया है। छात्र ने आरोप लगाया कि दलित जाति का होने की वजह से उसे एडमिशन नहीं दिया जा रहा है। जबकि रिक्त सीटों को रेट एग्जम्प्टेड श्रेणी में स्थानांतरित करने का प्रावधान है। छात्र विश्वविद्यालय के कुलपति आवास के बाहर धरने पर बैठ फूट फूट कर रोने लगा, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ।

सपा सांसद ने मामले को सदन में उठाने की कही बात, सपा पदाधिकारियों ने छात्र से की मुलाकात
BHU के छात्र शिवम सोनकर के मामले को समाजवादी पार्टी के सांसद वीरेंद्र सिंह ने संज्ञान में लिया और छात्र से टेलीफोनिक वार्ता किया। इस दौरान उन्होंने छात्र से पूरे प्रकरण की जानकारी ली और छात्र के मुद्दे को संसद के सदन में उठाने का आश्वासन दिया। वही छात्र से मुलाकात के लिए सांसद प्रतिनिधि के रूप में बाबा साहब भीम राव अंबेडकर वाहिनी (सपा) के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव सत्य प्रकाश सोनकर पहुंचे। उन्होंने छात्र शिवम से सपा सांसद वीरेंद्र सिंह और उत्तर प्रदेश के सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा से छात्र की बात करवाई। इस दौरान सत्यप्रकाश सोनकर ने छात्र को आश्वस्त किया कि उनके इस मुद्दे को लेकर समाजवादी पार्टी हर स्तर पर न्याय मिलने तक उनके साथ खड़ी रहेगी।
सपा पदाधिकारियों ने BHU के रोस्टर पर उठाए सवाल, नियमों की अनदेखी का लगाया आरोप
काशी हिंदू विश्वविद्यालय पहुंचे समाजवादी पार्टी के पदाधिकारियों ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रोस्टर पर सवाल खड़े किया। सत्यप्रकाश सोनकर ने छात्र शिवम् सोनकर के मुद्दे को लेकर कहा कि नियम के अनुसार जब सामान्य और ओबीसी कैटिगरी के निर्धारित किया जाता है, तब संविधान के अनुसार अनुसूचित की कैटेगरी भी निर्धारित किया जाना चाहिए। संविधान में सभी जाति के कैटेगरी के छात्रों के लिए आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन उसके बावजूद काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इसकी अनदेखी की जा रही है। छात्र शिवम् ने सामान्य कैटेगरी में दूसरा रैंक आने के बाद भी एडमिशन नहीं दिया जा था है। ऐसे में महामना जी की बगिया में शिक्षा के अधिकार का हनन कुछ विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों के द्वारा किया जा रहा है।