डिजिटल स्टोरी- दलित, पिछड़ा…और उनका हक,,, ये आजकल खूब सूनने को मिल रहा होगा आपको,,, क्योंकि आजकल सियासी गलियारों में यहीं सुनाई देता है, और ये मुद्दे हैं भी हमारे देश में इतना ज्यादा जरुरी….
क्योंकि देश की राजनीति हो या फिर प्रदेश की राजनीति,,,,बिहार में आए जातीय जनगणना की सूची के बाद सियासी माहौल में उसको लेकर आवाज उठने लगी…सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी दलों के बीच इसे लेकर खूब जुबानी जंग हुई जो अभी भी जारी है.
प्रदेश में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या हो,,, यो फिर सपा महासचिव शिवपाल यादव…और पल्लवी पटेल
सभी जातीय जनगणना को लेकर बड़े-बड़े रिएक्शन दे रहे है…और ऐसे बयान जिसे सुनकर लोगों के होश उड़ गए हो….जातीय जनगणना को लेकर राजनीतिक दल अपने-अपने पैतरे लगा रहे हैं.
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने विधान परिषद में कहा है कि वो स्वयं और उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता जातिगत जनगणना के पक्ष में हैं हम इसके खिलाफ नहीं हैं. जातीय जनगणना को लेकर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि मैं और मेरे बड़े नेता जातीय जनगणना चाहते हैं. विपक्ष ने जातीय जनगणना पर सरकार को घेरा है.
इसी मुद्दे पर पल्लवी पटेल का भी बयान सामने आया. सपा विधायक पल्लवी पटेल ने अपने बयान में कहा कि बीजेपी जातिगत जनगणना से क्यों भाग रही है.इस मुद्दे को सदन में उठाया जाएगा.अनुपूरक बजट सिर्फ नाम का बजट है.हम सदन में चर्चा करना चाहते हैं. चर्चा न हो इसलिए इतना छोटा सदन रखा गया है.
वहीं यूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन, सपा महासचिव शिवपाल यादव ने केशव प्रसाद मौर्य पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि केशव प्रसाद मौर्य को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए. क्योंकि ये पिछड़ा दलितों की बात सुनते नहीं है. और कहते हैं कि ये जातीय जनगणना का मामला, केंद्र का मामला है.
खैर जातीय जनगणना सुनाई तो बहुत दे रहा है, पर राजनीतिक दल इस मुद्दे को लेकर आम आदमी के लिए क्या कुछ नया लेकर आते हैं ये सबसे जरुरी है.