देहरादून में फटा बादल सहारनपुर के कई परिवार बर्बाद, बाप-बेटा समेत छह मजदूर लापता..

"देहरादून में तेज बारिश और बादल फटने के कारण सहारनपुर में कई परिवार प्रभावित हुए। बाढ़ और मलबे में बाप-बेटा समेत छह मजदूर लापता हैं। राहत और बचाव कार्य जारी हैं।"

Uttrakhand: देहरादून में बादल फटने की भीषण घटना ने सहारनपुर के कई परिवारों की खुशियां छीन ली हैं और उन्हें गहरे दर्द और सदमे में डाल दिया है। मीरपुर थाना फतेहपुर और आसपास के गांवों से गए मजदूरों का हादसे के बाद से अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। जिला प्रशासन ने जिन मजदूरों के नाम जारी किए हैं उनमें मीरपुर के मिथुन, उम्र 32 वर्ष, उनके पापा श्यामलाल, उम्र 65 वर्ष, धर्मेंद्र, उम्र 42 वर्ष और विकास, उम्र 26 वर्ष शामिल हैं।

ये सभी मजदूरी के लिए पत्थर तोड़ने देहरादून गए थे और आखिरी बार 15 सितंबर की शाम घरवालों से फोन पर बातचीत हुई थी। उसके बाद से उनके मोबाइल बंद हो गए और अब तक कोई खबर नहीं आई। हादसे की सूचना मिलते ही परिजन और ग्रामीण देहरादून पहुंचे, घंटों खोजबीन चली लेकिन अब तक नतीजा शून्य रहा। गांव का माहौल मातम में बदल चुका है और हर कोई बेसब्री से अपने लोगों के लौटने की दुआ कर रहा है। इसी के साथ दो लोग और सहारनपुर के हैं, टोटल 6 लोग सहारनपुर से लापता है,

मिथुन और श्यामलाल आपस में सगे बाप बेटा थे। श्यामलाल, उम्र 65 वर्ष, उनका बेटा मिथुन, उम्र 32 वर्ष, की पत्नी कविता और उनकी पांच छोटी बेटियां अब बेसहारा हो गई हैं। सबसे बड़ी बेटी 15 साल की है, दूसरी बेटी 13 साल की, तीसरी 8 साल की, चौथी 4 साल की और सबसे छोटी अभी डेढ़ साल की है। मासूम बच्चियां मां से बार-बार पूछ रही हैं कि पापा और दादा कब घर आएंगे, लेकिन इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।

विकास, उम्र 26 वर्ष, छह भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर था। उसकी मां का पहले ही देहांत हो चुका है। वह पहली बार मजदूरी करने के लिए घर से बाहर गया था। बारिश के मौसम में गांव में काम नहीं मिलने पर उसने देहरादून जाने की जिद की थी। उसकी बहन आरती बताती हैं कि भाई ने फोन पर भरोसा दिलाया था कि सब ठीक है और दो-तीन दिन में घर लौट आएगा, लेकिन अब उसकी कोई खबर नहीं है।

धर्मेंद्र, उम्र 42 वर्ष, की कहानी भी बेहद दर्दनाक है। उनकी पत्नी बबिता बताती हैं कि हादसे वाली रात करीब आठ बजे धर्मेंद्र ने फोन कर कहा था कि बहुत तेज बारिश हो रही है और बाहर पानी बह रहा है, निकलना खतरे से खाली नहीं है। बबिता ने उन्हें अगले दिन घर लौटने की सलाह दी थी, लेकिन उसी रात बादल फट गया और सब कुछ बदल गया। धर्मेंद्र की दो छोटी बेटियां हैं—मिष्ठी 9 साल की और छवि 7 साल की। अब उनकी जिम्मेदारी अकेले मां पर आ गई है।

गांव में मातम और खामोशी पसरी है। हादसे को 60 घंटे से ज्यादा समय बीत चुका है। लोग आंखों में आंसू लिए हर खबर पर नजर गड़ाए बैठे हैं और मन ही मन दुआ कर रहे हैं कि शायद कोई चमत्कार हो जाए और उनके प्रियजन सुरक्षित लौट आएं। लेकिन वक्त बीतने के साथ उम्मीदों पर सन्नाटा हावी होता जा रहा है। देहरादून की यह घटना सहारनपुर के गांवों को गहरे दर्द और अनकहे आंसुओं में डुबो गई है।

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