
दिल्ली हाईकोर्ट ने इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट्स रद्द होने के मामले में केंद्र सरकार से सख्त सवाल पूछे हैं। कोर्ट ने सरकार की लापरवाही पर गंभीर सवाल उठाए और पूछा कि ऐसी स्थिति क्यों पैदा होने दी गई। हाईकोर्ट ने कहा कि यह संकट सिर्फ यात्रियों की परेशानियों का नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान का भी मामला है।
हाईकोर्ट ने सरकार से सवाल किया, “आप इतने समय से क्या कर रहे थे?” और यह भी पूछा कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि दूसरी एयरलाइंस ने क्यों किराया बढ़ाया, जब इंडिगो की फ्लाइट्स रद्द हुईं। कोर्ट ने इस पर भी चिंता जताई कि यह कैसे संभव हुआ कि एक निजी एयरलाइंस (इंडिगो) को इतना बड़ा संकट पैदा करने की अनुमति दी गई।
इसके अलावा, दिल्ली हाईकोर्ट ने DGCA (Directorate General of Civil Aviation) से भी सवाल किया कि क्या यह मंत्रालय के अधीन नहीं आता। कोर्ट ने यह भी पूछा कि संकट के बाद ही सरकार ने कदम क्यों उठाए और क्या इसे पहले रोकने की कोशिश नहीं की गई थी।
सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि वे पहले से ही फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) लागू करने की योजना बना रहे थे, और इसके लिए जुलाई और नवंबर में दो चरणों में इसे लागू करने का वादा किया था। हालांकि, कोर्ट ने DGCA से पूछा कि किसने इसे लागू करने में देरी की और क्यों इस संकट को बढ़ने दिया गया।
DGCA ने इस संकट को कर्मचारियों की कमी से जोड़ते हुए कहा कि अगर छूट नहीं दी जाती तो संकट और भी गंभीर हो सकता था। कोर्ट ने DGCA पर आरोप लगाया कि वह एयरलाइन्स के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं कर रहा है।
कोर्ट ने DGCA से यह भी पूछा कि एयरलाइंस ने पर्याप्त संख्या में पायलट क्यों नहीं भर्ती किए। DGCA ने इसे कर्मचारियों की कमी के कारण होने वाला संकट बताया और कहा कि यदि इस संकट को तत्काल न रोका जाता तो इसका असर बहुत अधिक होता।इंडिगो के द्वारा किराया वृद्धि और फ्लाइट रद्द होने के मामले में सरकार की प्रतिक्रिया पर कोर्ट ने गंभीर टिप्पणी की और सरकार की लापरवाही के लिए कड़ी आलोचना की।








