दिल्ली में ज़ुबिन गर्ग को श्रद्धांजलि, संगीतकार की कला और विरासत को सलाम

ज़ुबिन के योगदान को आगे बढ़ाने के लिए स्कॉलरशिप जैसी पहलें शुरू की जानी चाहिए, ताकि उनकी कला और विचारधारा को आने वाली पीढ़ियाँ भी सम्मान दे सकें।

दिल्ली- मशहूर गायक और संगीतकार, असम की सांस्कृतिक पहचान ज़ुबिन गर्ग को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए 16 नवंबर 2025 को दिल्ली स्थित श्रीमन्त शंकरदेवा भवन में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य उनकी कला और व्यक्तित्व को सम्मानित करना था। यह कार्यक्रम NRD ग्रुप और असम लाइव 24 द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर रॉबिन हिबू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में ज़ुबिन दा के योगदान पर प्रकाश डाला गया
NRD ग्रुप के सीएमडी नृपेन दास ने ज़ुबिन दा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका जन्मदिन, 18 नवंबर, न केवल असम बल्कि पूरी दुनिया के संगीत प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ज़ुबिन गर्ग की आवाज़ और संगीत का प्रभाव वैश्विक स्तर पर था, और यही कारण था कि उनका जन्मदिन दिल्ली में मनाने का निर्णय लिया गया। साथ ही गुवाहाटी में भी इस अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। नृपेन दास ने ज़ुबिन दा की स्थायी उपस्थिति की बात करते हुए कहा कि भले ही वे हमारे बीच नहीं हैं, उनका योगदान और उनकी यादें हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी।

मुख्य अतिथि रॉबिन हिबू ने ज़ुबिन को प्रेरणास्त्रोत बताया
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी रॉबिन हिबू ने ज़ुबिन गर्ग को केवल एक कलाकार नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में याद किया। उन्होंने कहा कि ज़ुबिन के योगदान को आगे बढ़ाने के लिए स्कॉलरशिप जैसी पहलें शुरू की जानी चाहिए, ताकि उनकी कला और विचारधारा को आने वाली पीढ़ियाँ भी सम्मान दे सकें। रॉबिन हिबू ने यह भी घोषणा की कि अरुणाचल प्रदेश में ज़ुबिन गर्ग की एक प्रतिमा स्थापित की जाएगी, ताकि उनकी कला और उनके उत्तर-पूर्व क्षेत्र से प्रेम को हमेशा याद रखा जा सके।

बोर्नाली कलिता और दिगंत भारती ने ज़ुबिन दा के बारे में अपनी यादें साझा की
ज़ुबिन गर्ग के साथ 4000 से अधिक गाने गा चुकी असम की प्रसिद्ध गायिका बोर्नाली कलिता ने कहा कि ज़ुबिन दा का नाम जितना बड़ा था, उनका व्यक्तित्व उतना ही सरल था। वे केवल एक गायक नहीं थे, बल्कि एक सच्चे इंसान थे। उनकी सादगी और सबके साथ घुलने-मिलने की कला लाजवाब थी। बोर्नाली कलिता ने कहा कि आज भी ऐसा लगता है जैसे ज़ुबिन दा हमारे बीच मौजूद हैं।

ज़ुबिन गर्ग के साथ कई गाने लिखने वाले दिगंत भारती ने कहा कि जुबिन दा की यादें हमारे साथ हमेशा रहेंगी और उनकी लेगेसी को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब हमारे कंधों पर है। उन्होंने यह भी कहा कि ज़ुबिन का नाम संगीत जगत में अमर हो चुका है और उनका योगदान इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।

संगीत और सांस्कृतिक विरासत का जश्न
ज़ुबिन गर्ग ने उत्तर-पूर्व भारत के लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई थी। एक वक्ता ने इस मौके पर कहा, “जब कोई दिल जीत लेता है, तो शब्दों की ज़रूरत नहीं रह जाती।” दिल्ली में आयोजित यह कार्यक्रम सिर्फ एक जन्मदिन समारोह नहीं था, बल्कि यह ज़ुबिन गर्ग की स्मृतियों को साझा करने का एक भावनात्मक मंच था। यह आयोजन असम की सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था।

ज़ुबिन गर्ग पर आधारित त्रिभाषीय पुस्तक का विमोचन
कार्यक्रम की एक प्रमुख विशेषता थी ज़ुबिन गर्ग के जीवन, संघर्ष और रचनात्मक यात्रा पर आधारित त्रिभाषीय पुस्तक का विमोचन। यह पुस्तक तीन भाषाओं में तैयार की गई है, ताकि देशभर के लोग उनके योगदान और कला से जुड़ सकें। आयोजकों का मानना है कि यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर बनेगी।

इस आयोजन ने ज़ुबिन गर्ग की संगीत यात्रा और उनकी संस्कृति के प्रति योगदान को सम्मानित किया और यह भी दिखाया कि उनका प्रभाव आज भी हमारे दिलों में गहरे स्थान पर है।

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