
रितु माहेश्वरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को फटकार लगाते हुए कहा, जमीन लेने के बाद उचित मुआवजा ना देना सामान्य हो गया है। आप आदेशों का पालन नहीं करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि SC तक मामला पहुंचने के बाद भी आदेश का पालन नहीं होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा हमने कई केस देखें है जिसमें कि आपने जमीन ली, लेकिन मुआवजा नहीं दिया है। बता दें, नोएडा अथॉरिटी की CEO रितु माहेश्वरी को कोर्ट से मिली राहत जारी रहेगी। कोर्ट ने रितु माहेश्वरी की याचिका पर नोटिस जारी किया है। वही, सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी।
जानें क्या है मामला…
दरअसल, नोएडा अथॉरिटी की CEO रितु महेश्वरी का एक और कारनामा उजागर हो गया है जिसके चलते अब वो हाईकोर्ट की अवमानना में फंस चुकी हैं. रितु महेश्वरी की मुश्किलें अब बढ़ और भी बढ़ सकती हैं क्योंकि भूमि अधिग्रहण के मुआवजे से संबंधित एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रितु को मुआवजा जारी करने का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी रितु ने प्राधिकरण के अफसरों के साथ मिलभगत करके मुआवजे को अटकाए रखा और इस तरह न्यायलय की अवमानना की. इसके अलावा रितु माहेश्वरी को 4 मई को मामले की सुनवाई में हाजिर रहने का आदेश दिया गया था लेकिन वो नहीं पहुंची. नोएडा प्राधिकरण के वकील रविंद्र श्रीवास्तव ने न्यायालय को बताया, “मैडम साढ़े 10 बजे आएंगी.”
इस दलील पर कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण के वकील को फटकारते हुए सख्त टिपण्णी की. कोर्ट ने कहा, “जब सुनवाई का समय सुबह 10 बजे का है और आप साढ़े दस बजे की फ्लाईट पकड़ रही है. ये कोर्ट आपकी सहूलियत के हिसाब से नहीं चलता.” अदालत ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण कि सीईओ (CEO) का यह कृत्य न्यायालयी अवमानना के दायरे में आता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तब आदेश किया कि पुलिस रितु महेश्वरी को गिरफ्तार करे और 13 मई को पुलिस कस्टडी में रितु महेश्वरी को अदालत के सामने पेश किया जाए.
हालाकिं, ताजा अपडेट के मुताबिक रितु माहेश्वरी के इस काम से सरकार की साख को धक्का लगा है. चूंकि मामला भ्रष्टाचार का है इसलिए, ऐसा माना जा रहा है कि सरकार अपनी किरकिरी से बचने और रितु महेश्वरी को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जा सकती है. बता दें कि भूमि अधिग्रहण के मामले में मुआवजे से संबंधित भ्रष्टाचार का एक मामला सामने आया था जिसमें न्यायलय के आदेश के बावजूद भी रितू माहेश्वरी ने ‘अज्ञात कारणों’ से किसान का मुआवजा लटकाए रखा और किसान को मुआवजा नहीं दिया गया.