
जन व्यस्थाओं को लेकर सरकार बड़े-बड़े दावे क्यों ना करती हो लेकिन जनपद देवरिया कलेक्ट्रेट से आई एक तस्वीर ने सरकारी दावों और व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है. मामला देवरिया कलेक्ट्रेट के बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी कार्यालय का है. कलेक्ट्रेट में स्थित यह एक ऐसा विभाग है जो आज भी एक ऑफिस के लिए तरस रहा है.
इस विभाग के कर्मचारी कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे अपना टेबल और कुर्सी लगाकर काम करने को मजबूर हैं. कार्यस्थल की हालत तो ऐसी है कि ऑफिस के जरूरी कागजात जीर्ण-शीर्ण कमरे के फर्श पर पड़े हुए हैं. बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी कार्यालय देवरिया में काम करने वाले राजस्व कर्मचारियों के भविष्य निधि कागजात भी कमरें में इधर-उधर बिखरे पड़े हैं और जनता का काम करने के लिए लगाए गए कंप्यूटर धूल फांक रहे हैं.
देवरिया जिले के कलेक्ट्रेट परिसर स्थित बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी कार्यालय में आधा दर्जन से अधिक कर्मचारी और अधिकारी कार्य करते हैं. लेकिन इनके लिए ना बैठने की कोई सुविधा नहीं है, ना जनसेवा के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं. इनको एक कमरा जरूर मुहैया कराया गया है लेकिन वह भी टूटे-फूटे अवस्था में है.
इस कमरे में ना तो बैठने की जगह है ना तो सामान रखने की. आपको बता दें कि इस विभाग में सैकड़ों कर्मचारी काम करते हैं. इसी कार्यालय में कुछ महिला कर्मचारी भी हैं. लेकिन यहां ना तो महिला प्रसाधन की कोई सुविधा है ना तो पुरुष प्रसाधन की और ना ही स्वच्छ पानी की. बदहाल व्यवस्थों के बीच सरकारी कार्यालय के कर्मचारी काम करने के लिए मजबूर हैं.
कार्यालय बंदोबस्ती अधिकारी, चकबंदी विभाग में ही कार्यरत एक कर्मचारी ने बताया कि यह मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में भी है. लेकिन आज तक कार्यालय के एक कमरे तक का समुचित प्रबंध नहीं किया जा सका है. सरकारी कर्मचारियों को जनता की सेवा के लिए रखा गया है लेकिन वो ही तंत्र की अव्यवस्था और लापरवाही का शिकार हैं.
ऐसे में उनसे यह अपेक्षा कैसे की जा सकती है कि वो जनता की तकलीफों दूर कर सकेंगे. बहरहाल, देवरिया चकबंदी विभाग के कर्मचारी अव्यवस्था के बीच काम करने को मजबूर हैं और आला अफसरों को इसकी कोई चिंता नहीं है.








