बंदरों को शहर से भगाने के लिए होगी “लंगूरों के कटआउट्स” की तैनाती, वन विभाग ने प्रोजेक्ट पर प्रयोग शुरू किये

शहर में बढ़ते बंदरों से परेशानी शहरियों को निजात दिलाने के लिए मेरठ के वन विभाग ने नायाब तरीका ईजाद किया है. बंदरों को भगाने के लिए वन विभाग अब लंगूरों को कटआउट इस्तैमाल करेगा. प्रोजेक्ट के पहले चरण में वन विभाग के स्टाफ के घरों के आसपास लंगूरों के कटआउट लगाये गये है. विभाग का मानना है कि इसके सकारात्मक परिणाम देखे गये है.

दिनोंदिन घटते जंगलों की वजह से भोजन की तलाश में बंदरों ने शहरों में अब अपना आशियाना बना लिया है. भोजन की तलाश में भटकते बंदरों के गुटों के बीच कई कालोनियों में नियमित युद्ध भी देखे जाते है. बंदरों के हमले भी आबादी में बढ़े है और अब शहर में बंदर एक बड़ी समस्या का रूप लेते जा रहे है.

मेरठ के वन विभाग ने इस समस्या से शहरियों को निजात दिलाने के लिए लंगूरों की तस्वीरों का इस्तैमाल शुरू करने की योजना बनायी है. इस योजना के तहत लंगूर के फोटो कटआउट की शक्ल में मजबूत बेस पर लगाये जायेगें और उन्हें छतों की दीवारों, घरों की वाउन्ड्रीवॉल और घरों के आगे मजबूतों से लगाया जायेगा. वन विभाग का मानना है कि लंगूरों की तस्वीर देखकर बंदर भाग जायेगें.

वन विभाग का यह आइडिया लंगूर और बंदरों के बीच डर की खाई के चलते पैदा हुआ है. अमूमन यह देखा जाता है कि बंदरों से निजात दिलाने के लिए बड़े अफसर और नेता लंगूरों को अपने घरों और आफिसों पर तैनात करते है. लंगूर के खौफ से बंदर उस इलाके में नही आते. कानूनी रूप से लंगूरों का ऐसा इस्तैमाल वन विभाग के नियमों के विरूद्ध है.

इसलिए अब लंगूर के कटआउट से बंदरों की भगाने की योजना है. मेरठ के प्रभागीय निदेशक राजेश कुमार ने बताया कि यह योजना प्रभावी साबित हो सकती है. फिलहाल योजना के रिजल्ट देखने के लिए ऐसे कटआउट्स को वन विभाग के स्टाफ के घरों और आफिस में इन्स्टाल किया गया है. काफी हद तक सकारात्मक प्रभाव देखा गया है. कुछ संसोधन होने है और उसके बाद प्रोजेक्ट लागू किया जायेगा.

मेरठ विकास प्राधिकरण में तैनात किया था लंगूर-
हाल के दिनों में मेरठ विकास प्राधिकरण के परिसर में एक लंगूर की तैनाती की गयी थी. जानवरों का व्यवसायिक उपयोग के लिए पालने वाले एक शख्स को प्राधिकरण परिसर में लंगूर के साथ तैनात किया गया था. शिकायत परिसर में अत्याधिक बंदरों से पैदा होने वाली समस्याओं को लेकर थी. लेकिन एक्ट के विपरीत जाकर लंगूर की तैनाती परिसर में कर दी गयी. एक्ट के मुताबिक लंगूर प्रतिबंधित श्रेणी के वन्य जीवों में शुमार है.

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