
हाल ही में हजारों इंडिगों की उड़ाने रद्द होने से पूरे देश भर में तनाव पूर्ण माहौल था और सवाल जवाब को लेकर कई तरह से इंडिगों घेरा गया था। वहीं सरकारी जांच समिति ने गुरुवार शाम को इंडिगो एयरलाइन के परिचालन संकट पर अपनी गोपनीय रिपोर्ट प्रस्तुत की। समिति ने अपनी समीक्षा में पाया कि नवंबर में एयरलाइन ने वैश्विक मानकों से 891 अधिक पायलटों को नियुक्त किया था। इसके बावजूद, हजारों यात्रियों को फंसे रहने वाली सामूहिक उड़ानों के रद्द होने का मुख्य कारण चालक दल की कमी नहीं, बल्कि समय-निर्धारण की गड़बड़ी थी।
बता दें कि सरकारी जांच समिति की अध्यक्षता संयुक्त महानिदेशक संजय के. ब्रह्मणे कर रहे हैं। समिति का गठन डीजीसीए द्वारा 6 दिसंबर को किया गया था, ताकि एयरलाइन की मानव संसाधन योजना, परिचालन विफलताओं और छह दिनों में 5,000 से अधिक उड़ानों के रद्द होने की जिम्मेदारी की जांच की जा सके।
आपकों बता दें कि, समीक्षा में यह पाया गया कि इंडिगो ने नवंबर में 307 एयरबस विमानों के संचालन के लिए 4,575 पायलटों को नियुक्त किया था, जबकि वैश्विक मानकों के तहत 3,684 पायलटों की आवश्यकता थी। इससे पता चलता है कि संकट का मुख्य कारण पायलटों की संख्या नहीं, बल्कि रोस्टरिंग में गड़बड़ी थी।
वहीं, इंडिगो ने डीजीसीए को प्रस्तुत आंकड़ों में दावा किया कि पायलटों की संख्या पर्याप्त थी, और मुख्य समस्या शेड्यूलिंग और रोस्टरिंग से संबंधित थी।
इंडिगो के द्वारा नियुक्त पायलटों की संख्या वैश्विक मानकों के मुताबिक पर्याप्त थी। एयरलाइन ने पायलटों की शेड्यूलिंग और रोस्टरिंग में गड़बड़ी की वजह से परिचालन में समस्याएं आईं।
बता दें कि, नवंबर में जब सख्त उड़ान ड्यूटी समय सीमाएं लागू थीं, तब एयरलाइन के पास पर्याप्त उड़ान क्षमता थी।
डीजीसीए के न्यूनतम मानकों के अनुसार, प्रति विमान तीन क्रू सेट की आवश्यकता होती है, लेकिन इंडिगो के पास इसकी तुलना में दुगना पायलट था।
आपको बता दें कि, Indigo के अधिकारी ने बताया, “आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि पायलटों की उपलब्धता परिचालन में कोई बाधा नहीं थी, बल्कि समस्या रोस्टरिंग प्रथाओं और पायलट अनुबंध खंडों से उत्पन्न हुई थी। और दूसरे अधिकारी ने क कि यह विश्लेषण डीजीसीए की व्यापक समीक्षा का हिस्सा था, जो नवंबर के अंत से लेकर दिसंबर के मध्य तक सैकड़ों उड़ानें रद्द होने के बाद की गई थी।
बता दें कि, यह रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि इंडिगो का परिचालन संकट पायलटों की कमी के कारण नहीं था, बल्कि समय-निर्धारण और शेड्यूलिंग में गड़बड़ी के कारण यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। सरकार ने इस संकट को लेकर हस्तक्षेप किया, जिसमें आपातकालीन किराया सीमा लागू करना और वरिष्ठ अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करना शामिल था।









