परिवारवाद बन रहा भाजपा की बड़ी चुनौती, टिकट न मिलने से बागी हुए नेता, निर्दल किया नामांकन, क्या बिगड़ेगी बीजेपी की गणित ?

भाजपा ने नगर निकाय चुनाव में ज़्यादा से ज़्यादा सीटें जीतने के लिए नामांकन के आख़िरी दिन से ही चौतरफ़ा अभियान शुरू किया लेकिन भाजपा में नाराज़ हुए नेता ही उसकी बड़ी चिंता बने हुए हैं नगरपालिका परिषद और नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद का टिकट न मिलने से ख़फ़ा दावेदार और निवर्तमान अध्यक्ष होने बग़ावत कर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के ख़िलाफ़ भी ताल ठोक दी कई नेता ख़ुद निर्दलीय मैदान में हैं तो कहीं परिवार के सदस्यों को पार्टी के ख़िलाफ़ उतारा है।

पार्टी से नाराज कई नेताओं ने निर्दलीय नामांकन पत्र दाख़िल किया है। बरेली की फतेहगंज पूर्वी नगर पंचायत से भाजपा कार्यकर्ता संजय पाठक ने निर्दलीय नामांकन पत्र दाख़िल किया था। फ़रीद पुर नगर पालिका परिषद के पूर्व चेयरमैन लालाराम गुप्ता की पत्नी गिरधारी गुप्ता ने टिकट ना मिलने पर बग़ावत कर बसपा का दामन थामा। राजेश गुप्ता ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया फ़ैसला।

नगर पंचायत बिशारतगंज में सूरज पाल मौर्य ने निर्दलीय नामांकन किया। कानपुर में सांसद सत्यदेव पचौरी बेटी नीतू सिंह के टिकट न मिलने पर नाराजगी जाहिर की है। पीलीभीत में भी निवर्तमान अध्यक्ष विमला जायसवाल ने निर्दलीय नामांकन किया है। लखीमपुर खीरी नगर पालिका में भाजपा ने अर्बन कोआपरेटिव की अध्यक्ष पुष्पा सिंह को प्रत्याशी बनाया प्रत्याशी बनाया इससे ख़फ़ा पूर्व प्रदेश कार्य समिति सदस्य डॉक्टर इरा श्रीवास्तव और गोला की अध्यक्ष रही मीनाक्षी अग्रवाल ने भी निर्दलीय नामांकन दाख़िल किया।

वही अगर बात करें संत कबीर नगर में भी पवन तिवारी ने पार्टी से बग़ावत कर पत्नी कल्याणी को निर्दलीय मैदान में उतारा है। सिद्धार्थ नगर में भी निवर्तमान अध्यक्ष श्याम बिहारी लाल जायसवाल ने निर्दलीय नामांकन किया दाख़िल। नगर पंचायत इटावा से अनिल कुमार जायसवाल माया सीता राम उपाध्याय हनुमत निवास पाठक सुधीर कुमार तिवारी संजय सिंह ने भी निर्दलीय किया है नामांकन। अब देखना है पार्टी से बगावत करने वाले नेताओं को भाजपा सहानुभूति देती है या ये नेता निर्दल मैदान में उतरकर पार्टी को नुकसान पहुचाएंगे।

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