उत्तर प्रदेश में किसानों को उन्नत खेती के लिए कृषि विज्ञान केंद्र से मिल रही निःशुल्क सहायता

ये बीज और पौधे कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा तैयार किए गए हैं और इनका उद्देश्य किसानों को अधिक उत्पादकता और पैदावार दिलवाना है।

झांसी – योगी सरकार राज्यभर में किसानों को उन्नत खेती के लिए प्रेरित कर रही है और उनकी कृषि उपज बढ़ाने में मदद करने के लिए विभिन्न कदम उठा रही है। झांसी जिले के कृषि विज्ञान केंद्र ने गोद लिए गए दस गांवों के किसानों को उन्नत खेती के लिए न केवल प्रेरित किया, बल्कि उन्हें निशुल्क उन्नत बीज और उर्वरक भी उपलब्ध कराए हैं।

गोद लिए गए गांवों में किसानों को मिल रही निःशुल्क सहायता
झांसी के भरारी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से इन किसानों को गेहूं, सरसों और फूलगोभी के उन्नत बीज उपलब्ध कराए गए हैं। विशेष रूप से, गेहूं की नई प्रजाति ‘करनवंदना’ का बीज किसानों को दिया गया है, जो परंपरागत गेहूं की तुलना में अधिक पैदावार देता है। साथ ही, सरसों की ‘राधिका’ नस्ल के बीज और फूलगोभी के उन्नत किस्म के पौधे भी इन किसानों को प्रदान किए गए हैं। ये बीज और पौधे कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा तैयार किए गए हैं और इनका उद्देश्य किसानों को अधिक उत्पादकता और पैदावार दिलवाना है।

निःशुल्क बोरान उर्वरक से खेतों की उर्वर क्षमता में वृद्धि
कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों को न केवल उन्नत बीज और पौधे दिए जा रहे हैं, बल्कि उन्हें बोरान उर्वरक भी उपलब्ध कराया जा रहा है। यह उर्वरक खेतों की उर्वर क्षमता बढ़ाने में मदद करता है और कृषि उपज में वृद्धि का प्रमुख कारण बनता है।

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा मार्गदर्शन और प्रशिक्षण
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. आदित्य कुमार सिंह ने बताया कि इन किसानों को केंद्र में आमंत्रित कर उन्हें उन्नत खेती के तरीके, बीजों के इस्तेमाल, पौधों की देखभाल और उर्वरकों के प्रयोग के बारे में मार्गदर्शन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से परिचित कराकर उनकी पैदावार बढ़ाने में मदद की जा रही है। डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि यह निरंतर प्रशिक्षण और मार्गदर्शन का सिलसिला जारी रहेगा ताकि किसान अधिक से अधिक उपज प्राप्त कर सकें।

कृषि के क्षेत्र में नई दिशा की ओर एक कदम
योगी सरकार के इस प्रयास से राज्य में कृषि के क्षेत्र में एक नई दिशा देखने को मिल रही है, जिसमें न केवल किसानों को उन्नत बीज और तकनीक दी जा रही है, बल्कि उन्हें कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से निरंतर सहायता और मार्गदर्शन भी मिल रहा है। यह पहल किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।

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