
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की जून 2025 की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक, देश की बैंकिंग प्रणाली न केवल मजबूत बनी हुई है बल्कि इसमें पूंजी भंडार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुके हैं। एनपीए (गैर-निष्पादित संपत्ति) दरें बहुदशकीय न्यूनतम स्तर पर हैं, और बैंकों के प्रदर्शन में भी उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।
ग्रोस एनपीए मार्च 2025 में 2.3% पर, 2027 तक मामूली वृद्धि का अनुमान
RBI ने बताया कि 46 बैंकों का ग्रॉस एनपीए अनुपात मार्च 2025 में 2.3% रहा और यह मार्च 2027 तक केवल 2.5% तक पहुंचने का अनुमान है। यह संकेत करता है कि बैंकों की ऋण गुणवत्ता अब बेहतर स्थिति में है।
बैंकों की पूंजी स्थिति बेहतर, CRAR पहुंचा 17.3% पर
मार्च 2025 तक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs) का पूंजी-से-जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (CRAR) 17.3% तक पहुंच गया, जो अब तक का सर्वोच्च स्तर है।
रेटेल ऋण क्षेत्रों में तनाव बढ़ा, विशेष रूप से क्रेडिट कार्ड और माइक्रोफाइनेंस में
हालांकि समग्र रूप से सिस्टम स्थिर है, RBI ने चेताया कि व्यक्तिगत ऋण और क्रेडिट कार्ड में डिफॉल्ट बढ़े हैं, जिससे रिटेल ऋण क्षेत्र में तनाव देखने को मिला है।
वित्तीय संस्थाओं में आपसी जुड़ाव दो अंकों में बढ़ा
रिपोर्ट में कहा गया कि बैंकों, एनबीएफसी और अन्य वित्तीय संस्थाओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों में भी तेज वृद्धि हुई है, जिससे यह क्षेत्र और अधिक जुड़ा हुआ हो गया है।
आरबीआई गवर्नर बोले — ‘वित्तीय स्थिरता, आर्थिक विकास की पूर्वशर्त’
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में हो रहे संरचनात्मक बदलाव — जैसे व्यापार में विखंडन, तकनीकी परिवर्तन, जलवायु संकट और भू-राजनीतिक तनाव — नीति निर्धारण को जटिल बना रहे हैं।
“फाइनेंशियल स्टेबिलिटी, प्राइस स्टेबिलिटी की तरह, विकास के लिए जरूरी शर्त है,” — संजय मल्होत्रा, गवर्नर
RBI का GDP अनुमान: 2026 में 6.5% और 2027 में 6.7% विकास दर
भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर आरबीआई ने भरोसा जताया है और वित्त वर्ष 2026 और 2027 में क्रमशः 6.5% और 6.7% की विकास दर का अनुमान जताया है।









