देहरादून से दुबई भेजी गई पहली खेप, 1.2 MT गढ़वाली सेब (किंग रोएट) का निर्यात शुरू

ताकि वैश्विक खरीदारों की कड़ाई के अनुरूप निर्यात किया जा सके। संगठन यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए निर्यात गंतव्य बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।

भारत का एग्रो-एक्सपोर्ट विस्तार प्रयास
भारत ने कृषि उत्पादों के निर्यात बढ़ाने और विविधता लाने के प्रयास के तहत गढ़वाली सेब (King Roat variety) की पहली ट्रायल खेप 1.2 मीट्रिक टन देहरादून से दुबई भेजी है। जबकि उत्पादन और निर्यात बढ़ाने की कोशिशें जारी हैं, भारत अभी भी सेब का शुद्ध आयातक है।

आयात और घरेलू सुरक्षा का संतुलन
व्यापार और उद्योग मंत्री पियूष गोयल ने पिछले महीने श्रीनगर में सेब उत्पादकों को बताया कि देश में सेब आयात पर पहले से ही रक्षा तंत्र मौजूद है। मिनिमम इम्पोर्ट प्राइस (Rs. 50) के साथ 50% आयात शुल्क और अन्य खर्चों के कारण खुदरा कीमत Rs. 125-150 प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में कुल उत्पादन घरेलू मांग से कम है, इसलिए देश को 4.5 से 5 लाख टन सेब आयात करना पड़ता है।

APEDA की पहल और क्षेत्रीय कार्यालय
देहरादून में गढ़वाली सेब की पहली खेप को रवाना करते हुए कॉमर्स सेक्रेटरी सुनील बार्थवाल ने APEDA को उत्तराखंड में अपना क्षेत्रीय कार्यालय खोलने की प्रक्रिया तेज करने के लिए कहा। इस कार्यालय के माध्यम से राज्य से ताजा फल, मिलेट्स, दालें और ऑर्गेनिक उत्पाद अधिक निर्यात किए जाएंगे।

निर्यात मानक और अंतरराष्ट्रीय बाजार
APEDA किसानों को Good Agricultural Practices (GAPs), अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानक, पोस्ट-हार्वेस्ट मैनेजमेंट जैसी तकनीकों से अवगत करा रहा है ताकि वैश्विक खरीदारों की कड़ाई के अनुरूप निर्यात किया जा सके। संगठन यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए निर्यात गंतव्य बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
इसके अतिरिक्त, ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन और GI टैगिंग के माध्यम से उत्पादों की पहचान और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाई जा रही है। APEDA ने Lulu Group के साथ MoU भी किया है ताकि क्षेत्रीय उत्पादों के अंतरराष्ट्रीय रिटेल चैनलों में निर्यात का परीक्षण किया जा सके।

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