
नई दिल्ली: मई 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए भारतीय इक्विटी बाजार ने पिछले आठ महीनों के भारी बहिर्वाह के बाद नया मील का पत्थर तय किया। भारत में FPI का निवेश Rs 19,860 करोड़ तक पहुंच गया, जो कि सितंबर 2024 के बाद का सबसे उच्चतम आंकड़ा है।
वैश्विक तनाव और बेहतर कॉर्पोरेट कमाई का असर
मई में हुई वृद्धि के पीछे इंडो-पाक तनाव में कमी, यूएस से व्यापार समझौते की संभावना, डॉलर की कमजोरी, और अधिकांश कंपनियों के ब्याज की अपेक्षा बेहतर कॉर्पोरेट कमाई मुख्य कारण रहे।
FPI रणनीति में बदलाव और बढ़ते निवेश
नवंबर 2024 से FPI ने अपनी रणनीति में बदलाव किया था, और मई तक इसका असर जारी रहा, जिसके परिणामस्वरूप लिस्टेड कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी 17.5% तक पहुंच गई। मार्च 2025 में FPI की संपत्ति में 12 बिप्स की बढ़ोतरी हुई थी, विशेष रूप से प्राइवेट बैंकों में।
ऋण बाजार में FPI निवेश
मई में FPI ने ऋण बाजार में भी Rs 12,155 करोड़ का निवेश किया, जिसके परिणामस्वरूप कुल FPI इनफ्लो Rs 30,950 करोड़ तक पहुंचा। मार्च 2025 में ऋण बाजार में भारी निवेश देखा गया था, जिसमें Rs 29,044 करोड़ का निवेश हुआ था।
विदेशी निवेशकों का दृष्टिकोण: आगामी चुनौतियाँ और दीर्घकालिक संभावना
वैश्विक आर्थिक अस्थिरताएँ, जैसे यूएस ट्रेजरी यील्ड्स में वृद्धि और जियोपोलिटिकल रिस्क, निकट भविष्य में FPI प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, भारत की दीर्घकालिक विकास कहानी की संभावना स्थिर रहती है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगले 3-5 वर्षों में भारत की कॉर्पोरेट कमाई 14-17% तक बढ़ने का अनुमान है, जो FPI के लिए एक आकर्षक अवसर साबित हो सकता है।








