राज्यसभा में केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने संसद के चालू बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में ऑपरेशन गंगा का विवरण साझा किया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री के निर्देश पर, हमने ऑपरेशन गंगा की शुरुआत की, जिससे चल रहे युद्ध की स्थिति के दौरान अब तक के सबसे चुनौतीपूर्ण निकासी अभियान को अंजाम दिया गया।” उन्होंने यह भी कहा कि भारतीयों को यूक्रेन भर में तितर-बितर कर दिया गया, जिससे सरकार के लिए साजो-सामान की चुनौतियां खड़ी हो गईं।
विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने अपने बयान में आगे कहा, “यूक्रेन में जारी गंभीर सैन्य संघर्ष से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, हमने सुनिश्चित किया कि हमारे लगभग 22,500 नागरिक सुरक्षित घर लौट आए।” उन्होंने कहा कि “यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि रूस-यूक्रेन शत्रुता के चलते हमारे 20,000 से अधिक भारतीय समुदाय के नागरिकों का जीवन सीधे खतरे में पड़ गया था।
जब हम UNSC में इस उभरती स्थिति के वैश्विक विचार-विमर्श में भाग ले रहे थे, तब भी हमारे नागरिकों की सुरक्षा करना और यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण चुनौती थी कि उन्हें किसी भी तरह की कोई हानि ना हो।” बता दें कि भारत सरकार द्वारा यूक्रेन से अपने नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा ऐसे समय में चलाया गया जब यूक्रेन में हवाई हमले और गोलाबारी सहित कई सैन्य कार्रवाईयां चल रही थी।
अपने सम्बोधन के दौरान राज्यसभा में विदेश मंत्री ने कहा कि यह अभियान ऐसे समय में किया गया था जब एक बड़े देश में एक युद्ध-ग्रस्त स्थिति के दौरान 1000 किलोमीटर से अधिक के दायरे में अनुमानित 26 लाख शरणार्थियों द्वारा बंद सीमा चौकियों से बाहर निकलने की आवश्यकता होती है।
गौतलब हो कि यूक्रेन के पड़ोसी देशों के माध्यम से वहां फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के अभियान अगुवाई विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की। जिसके चलते 20 हजार से अधिक भारतीय छात्रों को निकलने में मदद मिली।