Meerut: सरकारी स्कूल में पढ़ाई या मज़ाक? DM ने अधिकारियों को लगाई फटकार

Government Schools: सरकारी स्कूल का चौंकाने वाला सच,छात्र बेसिक पहाड़े तक नहीं जानते! डीएम ने शिक्षा अधिकारियों को दिए सुधार के तत्काल आदेश।

Education system failure: सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की सच्चाई जानकर आप चौंक जाएंगे। मेरठ में डीएम विजय कुमार के निरीक्षण के दौरान सामने आया कि छात्र न तो गणित के बेसिक पहाड़े जानते हैं, न ही उन्हें सामान्य ज्ञान के आसान सवालों के जवाब आते हैं। जब गणित के बुनियादी पहाड़े सुनाने को कहा गया, तो ज़्यादातर छात्र चुप रह गए या हिचकिचाने लगे। इतना ही नहीं, जब डीएम ने सामान्य ज्ञान से जुड़े बेहद सरल प्रश्न पूछे तो कई छात्रों को उत्तर तक नहीं पता थे।

मामला क्या है?

मेरठ के जिलाधिकारी (डीएम) विजय कुमार ने सोमवार को “उच्च प्राथमिक विद्यालय फफूंड़ा” का औचक निरीक्षण किया। उनके साथ बीएसए (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) और खंड शिक्षा अधिकारी भी मौजूद थे। यह दौरा इसलिए किया गया था ताकि देखा जा सके कि स्कूल में बच्चों को कैसी शिक्षा दी जा रही है।

निरीक्षण में क्या सामने आया?

बच्चों से जब आसान गणितीय पहाड़े जैसे — 2 का, 5 का — सुनाने को कहा गया, तो अधिकांश छात्र चुप हो गए या जवाब देने में झिझकने लगे। स्थिति और भी गंभीर तब दिखी, जब डीएम ने सामान्य ज्ञान से जुड़े बेहद सरल सवाल पूछे — जैसे भारत के राष्ट्रपति कौन हैं या स्वतंत्रता दिवस कब मनाया जाता है — और अधिकतर छात्र इन सवालों का भी जवाब नहीं दे पाए। यह साफ संकेत है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था में बड़े सुधार की जरूरत है।

शिक्षा की स्थिति देख डीएम नाराज़

बस फिर क्या बच्चों की परफॉर्मेंस देखकर डीएम विजय कुमार ने गहरी नाराज़गी जताई। उन्होंने मौके पर मौजूद बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) और खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) को फटकार लगाई और साफ शब्दों में कहा कि शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से निभाना होगा। अगर शिक्षक ही लापरवाह रहेंगे, तो इन बच्चों का भविष्य कौन संवारेगा? उन्होंने कहा कि शिक्षकों की जिम्मेदारी तय की जाएगी और ज़रूरत पड़ी तो कार्रवाई भी होगी।

सरकारी शिक्षा व्यवस्था में कब होगा सुधार?

सरकारी स्कूलों में शिक्षा की हालत बहुत खराब है। बच्चे बुनियादी बातें नहीं जानते — इसका मतलब यह है कि या तो उन्हें ठीक से पढ़ाया नहीं जा रहा, या फिर शिक्षकों की लापरवाही है। इस तरह की घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था में कितनी गहराई तक सुधार की ज़रूरत है।

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