काशी में गुरु पूर्णिमा का अनोखा रंग, मां गंगा में आस्था की डुबकी के साथ माता -पिता को बनाया गुरु

काशी के सैकड़ों परिवार के लोग अपने पहले गुरु माता -पिता का पूजन कर गुरुपूर्णिमा पर आशीर्वाद लिया। देश- विदेश से श्रद्धालुओं अपने गुरु व अराध्य का दर्शन के लिए काशी पहुंचे है

वाराणसी- देशभर में रविवार को गुरुपूर्णिमा का पर्व बेहद ही धूम धाम से मनाया जा रहा है। धर्म की नगरी काशी में मां गंगा में आस्था की डुबकी के साथ ही लाखो की संख्या में श्रद्धालु अपने गुरु के दर्शन -पूजन में जुटना है। मठ, मंदिर और आश्रमों में जहां श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है, तो वही काशी के सैकड़ों परिवार के लोग अपने पहले गुरु माता -पिता का पूजन कर गुरुपूर्णिमा पर आशीर्वाद लिया। देश- विदेश से श्रद्धालुओं अपने गुरु व अराध्य का दर्शन के लिए काशी पहुंचे है।

माता -पिता को बच्चो ने बनाया गुरु, अपने पहले गुरु का लिया आशीर्वाद

कहते है जन्म के बाद किसी भी मनुष्य का पहला गुरु कोई होता है, तो वह माता -पिता होते है। माता -पिता ही बच्चो को दुनिया में पहला राह दिखाते है।

ऐसे में वाराणसी में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर राजसूत्र पीठ के आवाह्न पर लोगो ने अपने पहले गुरु माता -पिता का दर्शन -पूजन कर आशीर्वाद लिया, तो वही गृहणियों ने अपने सास – ससुर का पूजन कर उन्हे अपना गुरु बनाया।

मुस्लिम समाज के लोगो ने अपने गुरु की उतारी आरती, गुरुपूर्णिमा को बताया पूर्वजों की परंपरा

वाराणसी के पातालपुरी मठ में मुस्लिम धर्म के लोगो ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर बाबा बालक दास की आरती कर उनका आशीर्वाद लिया। दर्जनों की संख्या में पातालपुरी मठ में मुस्लिम स्माजनके लोगो ने अपने गुरु की आरती के साथ पूजन किया। इस मौके पर उन्होंने गुरुपूर्णिमा को अपने पूर्वजों की परंपरा बताया।

मुस्लिम समाज के लोगों ने कहा कि गुरु और शिष्य का रिश्ता किसी धर्म से ऊपर होता है। बिना गुरु किसी को अपने धर्म का ज्ञान नहीं होता है। ऐसे में जाति धर्म से इतर वह गुरुपूर्णिमा पर अपने गुरु का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे है।

रिपोर्ट : नीरज कुमार जायसवाल, वाराणसी

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