
जनपद जालौन के गांव भेदपुरा से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो उत्तर प्रदेश की हाईटेक शिक्षा व्यवस्था तो मुंह चिढाती नज़र आ रही है। दरअसल इस गांव में एक प्राथमिक विद्यालय सन् 1938 में स्थापित किया गया था और उद्देश्य था कि जनपद जालौन के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को सहजता से शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके।

पिछले साल इस विधालय की इमारत को तोड दिया गया था क्योंकि ये बिल्कुल जर्जर हालत में हो गई थी और हादसे का अंदेशा था। इसके बाद बच्चों ने खुले आसमान तले पिछले सत्र की पढ़ाई और परीक्षाएं दी। रिजल्ट घोषित होने के बाद ग्रीष्मकालीन अवकाश भी हो गया और अब नए सत्र की पढ़ाई भी कल से शुरू हो गई है लेकिन इस स्कूल की इमारत अभी भी मलबे में तब्दील है।
एक साल गुजर जाने के बाद भी कोई सुध लेने वाला नहीं है। इस बरसात में भी मजबूरन अध्यापक बच्चों को पेड़ के नीचे खुले आसमान में पढ़ाने को मजबूर हैं। अब देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस खबर को संज्ञान में लेते हुए बच्चों के भविष्य पर फैसला लेते हैं या फिर यूं ही चलता रहेगा।
रिपोर्ट- देवेश कुमार स्वर्णकार









