याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज की थी झूठी FIR, हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना, जानें कोर्ट ने क्या कहा?

हाई कोर्ट ने कहा कि यह साफ तौर पर सामने आता है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ रेप के गंभीर आरोप झूठे लगाए गए हैं. उपरोक्त तथ्य केवल एक ही निष्कर्ष पर पहुंचते हैं. याचिकाकर्ता पर दबाव डालने और/या हिसाब बराबर करने के लिए झूठी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई थी. ऐसी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने और बलात्कार के झूठे गंभीर आरोप लगाने की प्रथा की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद HC ने कहा कि झूठी FIR दर्ज करने और बलात्कार के झूठे गंभीर आरोप लगाने की प्रथा की अनुमति नहीं दी जा सकती. जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा और विवेक कुमार सिंह की पीठ आईपीसी की धारा 376, 377, 313, 406, 506 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील रमेश चंद्र अग्रहरि ने कहा कि प्रथम सूचना मनगढ़ंत है. याचिकाकर्ता नंबर 1 और प्रथम सूचनाकर्ता ने अपनी शादी संपन्न कर ली है क्योंकि दोनों बालिग हैं. वे अपनी मर्जी से पति-पत्नी के रूप में खुशी-खुशी एक साथ रह रहे हैं. पीठ ने कहा कि पहली सूचना रिपोर्ट झूठी थी और उसके व याचिकाकर्ता नंबर 1 के बीच कुछ मतभेद होने पर दायर की गई थी.

हाई कोर्ट ने कहा कि यह साफ तौर पर सामने आता है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ रेप के गंभीर आरोप झूठे लगाए गए हैं. उपरोक्त तथ्य केवल एक ही निष्कर्ष पर पहुंचते हैं. याचिकाकर्ता पर दबाव डालने और/या हिसाब बराबर करने के लिए झूठी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई थी. ऐसी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने और बलात्कार के झूठे गंभीर आरोप लगाने की प्रथा की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

इस तरह की प्रथा से सख्ती से निपटना होगा. आपराधिक न्याय प्रणाली को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करके व्यक्तिगत विवादों को स्थापित करने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जो कि गलत है. उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर, पीठ ने याचिका स्वीकार कर ली और पहले सूचनादाता, प्रतिवादी नंबर 3 पर 10,000/- रुपये का जुर्माना लगाया.

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