Hijab Controversy : शैक्षणिक संस्थानों में कॉमन ड्रेस कोड लागू करने की सुप्रीम कोर्ट से मांग!

याचिका में कहा गया है कि कॉमन ड्रेस कोड लागू होने से एक समान ड्रेस कोड ना केवल समानता, सामाजिक न्याय व लोकतंत्र के मूल्यों को बढ़ाने के लिए जरूरी है बल्कि न्यायपूर्ण और मानवीय समाज बनाने के लिए भी आवश्यक है।

कर्नाटक हिजाब विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल हुई। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में कॉमन ड्रेस कोड लागू करने की मांग की गई। याचिका में कहा गया कि कॉमन ड्रेस कोड लागू होने से शिक्षा के वातावरण में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। भाजपा नेता और वकील अश्वनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया है।

याचिका में कहा गया है कि कॉमन ड्रेस कोड लागू होने से एक समान ड्रेस कोड ना केवल समानता, सामाजिक न्याय व लोकतंत्र के मूल्यों को बढ़ाने के लिए जरूरी है बल्कि न्यायपूर्ण और मानवीय समाज बनाने के लिए भी आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि कॉमन ड्रेस कोड से जातिवाद, सांप्रदायिकता, कट्टरवाद, अलगाववाद के खतरे को कम किया जा सकता है साथ ही यह ना केवल हिंसा को कम करता है बल्कि सकारात्मक शैक्षिक वातावरण को भी बढ़ावा देता है यह सामाजिक आर्थिक मतभेदों के कारण होने वाली हिंसा के अन्य पहलुओं को भी कम करता है।

बता दें, कर्नाटक हिजाब विवाद मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्थानीय मामले को राष्ट्रीय मुद्दा न बनाएं, हम सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए बैठे है। सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनौती देते हुए मामले की जल्द सुनवाई की मांग की गई।

याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश संविधान के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कर्नाटक हाई कोर्ट की सुनवाई पर कोर्ट की नजर है इस मुद्दे को राजनीतिक और धार्मिक नहीं बनाया जाना चाहिए । मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने कहा हम सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए बैठे है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा अगर कुछ गलत होता है तो उसकी रक्षा हम करेंगे, सुनवाई के लिए सही वक्त का इंतजार कीजिए।

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