गुड्डू जमाली ने कैसे बिगाड़ा सपा का खेल ? जानें क्या है धर्मेंद्र यादव के हार की Inside Story ?

रामपुर में तो मुकाबला सीधे सपा और भाजपा के बीच में था लेकिन आजमगढ़ उपचुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। शाह आलम ऊर्फ गुड्डू जमाली बार बार अपनी जीत के दावे कर रहे थे और चुनाव परिणाम आने तक वो अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थे लेकिन अचानक से बीजेपी जीत गयी।

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की रामपुर और आजमगढ़ उपचुनाव में बीजेपी का परचम लहराया है। लेकिन आजमगढ़ सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला। बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ की जीत के बाद से ही बसपा के प्रत्याशी गुड्डू जमाली सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। मायावती ने रामपुर में अपनी पार्टी से कोई प्रत्याशी नहीं उतारा लेकिन आजमगढ़ में गुड्डू जमाली को मैदान में उतारकर सपा की मुश्किलें बढ़ा दी।

आजमगढ़ से गुड्डू जमाली के मैदान में उतरे ही सपा के सामने चुनौतियां बढ़ गयी थीं। अगर बसपा से गुड्डू जमाली चुनाव ना लड़ते तो शायत आजमगढ़ की सीट पर सपा कब्जा कर लेती लेकिन गुड्डू जमाली के चुनाव मैदान में उतरने से सपा के सभी समीकरण खराब हो गये और बीजेपी के लिए रास्ता आसान हो गया।

फिलहाल गुड्डू जमाली खुद तो नहीं जीत पाए लेकिन सपा का खेल जरूर खराब कर दिया। सपा को लग रहा था कि शायद आजमगढ़ में उसको सिर्फ बीजेपी से ही मुकाबला करना होगा लेकिन चुनाव के कुछ वक्त पहले ही अचानक गुड्डू जमाली के मैदान में उतरने से पूरे चुनाव का आकर्षण रामपुर के बजाए आजमगढ़ बन गया।

रामपुर में तो मुकाबला सीधे सपा और भाजपा के बीच में था लेकिन आजमगढ़ उपचुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। शाह आलम ऊर्फ गुड्डू जमाली बार बार अपनी जीत के दावे कर रहे थे और चुनाव परिणाम आने तक वो अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थे लेकिन अचानक से बीजेपी जीत गयी।

शायद गुड्डू जमाली को भी पता होगा कि वो जीत नहीं पाएंगे लेकिन जीतने के लिए कोशिश कौन नहीं करता है। गुड्डू जमाली ने भी कहा कि चुनाव जीतने के लिए उन्होंने एक दिन में कई किलोमीटर पैदल चलकर जनता से संपर्क किया लेकिन सफलता नहीं मिली। उन्होंने कहा कि वो फिर से जनता का दिल जीतने के लिए संघर्ष करेंगे।

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