महज 9 सेकंड में कैसे जमींदोज हुआ नोएडा अथॉरिटी का पाप? जानिए, कौन सी तकनीकी का हुआ इस्तेमाल…

जलप्रपात विस्फोट तकनीक में इंजीनियर इमारत की सहायक संरचनाओं पर बहुत सावधानीपूर्वक नियंत्रित विस्फोट के लिए विस्फोटक का इस्तेमाल करते हैं. इस प्रक्रिया के चलते इमारत धीरे-धीरे अपने आप नीचे चली आती है और मलबा झरने की तरह गिरने लगता है.

रविवार दोपहर 2:30 बजे नोएडा अथॉरिटी का पाप कहे जाने वाले सुपरटेक ट्विन टावरों को जमींदोज कर दिया गया. सिर्फ 9 सेकंड में मलबे में तब्दील हुई विशालकाय इमारत में विस्फोट से अब तक किसी नुकसान की खबर नहीं है. 100 मीटर ऊंची इस बिल्डिंग को सुरक्षित रूप से जमींदोज करने के लिए, जलप्रपात विस्फोट तकनीक का उपयोग किया गया था.

आमतौर पर इस तकनीक का उपयोग घनी आबादी वाले शहरी इलाको में किया जाता है. जलप्रपात विस्फोट तकनीक में इंजीनियर इमारत की सहायक संरचनाओं पर बहुत सावधानीपूर्वक नियंत्रित विस्फोट के लिए विस्फोटक का इस्तेमाल करते हैं. इस प्रक्रिया के चलते इमारत धीरे-धीरे अपने आप नीचे चली आती है और मलबा झरने की तरह गिरने लगता है.

इस तकनीकी में डेटोनेटर और विस्फोटकों के नियंत्रित उपयोग की आवश्यकता होती है. विस्फोटकों को इमारत के आधारभुत संरचनाओं पर सावधानीपूर्वक फिट किया जाता है, तदोपरांत नियत समय पर एक्सप्लोजन की प्रक्रिया शुरु की जाती है.

सुपरटेक ट्विन टॉवर्स को भी जमींदोज करने के लिए इसी तकनीकी का इस्तेमाल किया गया. परिणाम यह हुआ कि आस-पास के वातावरण में बहुत ही मामुली नुक्सान के साथ महज 9 सेकंड में 40 मंजीला ट्विन टावर मलबे में तब्दील हो गया.

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