Trending

IAS Rinku Singh: मजदूर पिता का बेटा बना सबसे सख्त IAS! 7 गोलियों वाली जंग से उठक-बैठक तक… एक ऐसी कहानी जो रोंगटे खड़े कर दे!

IAS रिंकू सिंह राही, जिनका नाम हाल ही में वायरल वीडियो और विवादों के कारण सुर्खियों में रहा, अपने संघर्ष, ईमानदारी और साहस से प्रेरणा देते हैं। जानिए कैसे उन्होंने नशे के खिलाफ लड़ा, और 7 गोलियों के बावजूद अपने उद्देश्य को जारी रखा।

Rinku Singh biography: IAS रिंकू सिंह राही इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। वकीलों के सामने उठक-बैठक लगाते हुए उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसमें वे किसी ‘दोषी’ की तरह कान पकड़कर उठक-बैठक करते हुए दिखाई दे रहे थे। इस वीडियो के बाद रिंकू सिंह का ट्रांसफर कर दिया गया है, लेकिन इससे पहले उनके जीवन में एक कहानी है, जो न केवल साहस और ईमानदारी की मिसाल है, बल्कि संघर्ष और पीड़ा से भरी हुई भी है।

कौन हैं IAS रिंकू सिंह राही?

अलीगढ़ के डोरी नगर के रहने वाले रिंकू सिंह राही 2022 बैच के IAS अधिकारी हैं। उन्होंने पहले UPPCS अधिकारी के तौर पर काम किया था। वे दलित समुदाय से आते हैं, और उनके पिता एक आटा चक्की चलाते थे। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए रिंकू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल से की और फिर सरकारी कॉलेज से 12वीं तक पढ़ाई की। अच्छे नंबर लाने पर उन्हें स्कॉलरशिप मिली, और बाद में उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट से बीटेक की डिग्री हासिल की।

रिंकू सिंह पर हमला: 7 गोलियां और एक नई शुरुआत

रिंकू सिंह ने 2004 में UPPCS की परीक्षा पास की और 2008 में सरकारी सेवा में शामिल हुए। उन्हें मुजफ्फरनगर के जिला समाज कल्याण विभाग में नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने स्कॉलरशिप घोटाले का पर्दाफाश किया। रिपोर्ट के अनुसार, रिंकू सिंह ने 100 करोड़ रुपये के घोटाले के सबूत जुटाए थे, जिसमें बैंकों में फर्जी खाते खोलकर स्कॉलरशिप के चेक जमा किए जा रहे थे।

इस मामले के बाद रिंकू सिंह माफियाओं के निशाने पर आ गए। मार्च 2009 में जब वह अपने सरकारी आवास पर बैडमिंटन खेल रहे थे, तभी उन पर दो हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। रिंकू सिंह को 7 गोलियां लगीं, जिनमें से दो गोलियां उनके चेहरे पर लगीं, जिससे उनका चेहरा गंभीर रूप से बिगड़ गया और एक आंख की रोशनी भी चली गई। वे एक महीने तक सुभारती मेडिकल कॉलेज में इलाज करवा रहे थे, लेकिन अंततः उन्होंने उपचार के बाद अपनी नौकरी और संघर्ष को जारी रखा।

पागलखाने भेजे जाने की साजिश

रिंकू सिंह ने एक और दिलचस्प खुलासा किया। उन्होंने बताया कि ईमानदारी के कारण कई बार उन्हें चार्जशीट और सस्पेंशन का सामना करना पड़ा। 2012 में उन्होंने RTI के तहत विभाग से जानकारी मांगी, लेकिन जब एक साल तक कोई जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने अनशन पर बैठने का फैसला किया। इसके बाद, अधिकारियों ने डॉक्टर से मिलकर उन्हें पागलखाने भेजने की साजिश रची थी, ताकि उन्हें पागल घोषित किया जा सके।

आरोप और विरोध

रिंकू सिंह का कहना है कि 2015-16 में जब वे श्रावस्ती में पोस्टेड थे, तब उन्हें गाड़ी भत्ते के रूप में 25 हजार रुपये सालाना मिल रहे थे, जिसे उन्होंने नहीं लिया। इसके बाद उन पर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने ये पैसे अन्य कामों में खर्च किए। 2018 में ललितपुर में तैनाती के दौरान उन्हें शिक्षकों का शोषण करने के आरोपों का सामना करना पड़ा। यह आरोप मेस ठेकेदारों की ओर से लगाया गया था।

Related Articles

Back to top button