पंजाब में 5 जनवरी को फिरोजपुर मेंपीएम मोदी की सुरक्षा में चूक के मामले सुप्रीम कोर्ट ने जांच कमेटी का गठन कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस इंदु मल्होत्रा के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने जांच कमेटी बनाई है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने पीएम मोदी की सुरक्षा में चुके के मामले में जांच कमेटी बनाने का फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी में पूर्व जज इंदु मल्हौत्रा के इलावाह, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल , DG एनआईए या उनकी तरफ से नामित कोई अधिकारी जो IG रैंक से कम का ना हो। पंजाब के ADGP (सुरक्षा) को शामिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पीएम मोदी की सुरक्षा में चुक के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा एकतरफा जांच के दोषारोपण को दूर करने को जांच समिति बनाई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कमेटी अपनी रेपोर्टर यथाशीघ्र दायर करेगी। कोर्ट ने रिपोर्ट दायर करने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी जांच में देखेगी की पीएम की सुरक्षा में क्या चूक हुई? पीएम की सुरक्षा में चूक के लिए कौन जिम्मेदार है? ऐसी घटना दुबारा न हो उसको लेकर भविष्य में क्या किया जाए।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था वह पीएम मोदी की सुरक्षा के मामले में गंभीर है। वहीं केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि पूरी तरह से इंटेलिजेंस फेलियर है। पीएम मोदी की सड़क यात्रा की जानकारी पंजाब सरकार के पास पहले से थी। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि पूरे प्रोसेस के पालन में गड़बड़ी हुई है इस पर कोई विवाद नहीं हो इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि सुरक्षा में चूक और लापरवाही हुई है। ब्लू बुक में लिखा है सुरक्षा इंतजाम राज्य पुलिस महानिदेशक की देखरेख में स्थानीय पुलिस करती है।
पंजाब सरकार की तरफ से वकील पटवालिया ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोर्ट इस मामले में अगर चाहे तो जांच कमेटी का गठन कर दें, हम उस कमेटी का हर तरह से सहयोग करेंगे लेकिन हमारी सरकार और हमारे अधिकारियों पर अभी आरोप में लगाए जाएं। पंजाब सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं करेगी। केंद्र सरकार की जांच समिति के ऊपर हमको भरोसा नहीं है कृपया एक स्वतंत्र समिति नियुक्त करें ।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि पीएम का काफिला प्रदर्शनकारियों से 100 मीटर की दूरी पर पहुंच गया था। जो नोटिस चीफ सेक्रेट्री और डीजीपी को जारी हुआ उसका कानूनी आधार है। सड़क के बारे में सही जानकारी देना डीजीपी का काम था। सड़क पर ब्लॉक हो, तो भी एक रास्ता खुला रखना प्रशासन का काम था। पीएम के काफिले को प्रदर्शनकारियों की जानकारी नहीं थी। गंभीर बात यह है कि राज्य सरकार दोनों का बचाव कर रही है।