संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेताओं ने गुरुवार को घोषणा की कि वे अपने 378-दिवसीय आंदोलन को स्थगित कर रहे हैं। दिल्ली की सीमाओं से हजारों किसानों की ‘घर वापसी’ का असर 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है। हालांकि किसान नेताओं ने हमेशा यह कहा है कि उनका यह आंदोलन पूरी तरह से गैर राजनीतिक था लेकिन इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि किसान आंदोलन का पंजाब के राजनीतिक दलों पर आगामी चुनावों के लिए अपनी रणनीतियों को आकार देने पर असर पड़ा है।
यहां, यह बात भी महत्वपूर्ण है कि विरोध के दौरान ही गुरनाम सिंह चढूनी जैसे SKM नेतृत्व के कुछ किसान नेता खुले तौर पर किसानों के राजनीती में उतरने की वकालत करते रहे हैं। अब सवाल यह है कि आखिर आंदोलन के निलंबन से राजनीतिक रूप से किसे लाभ होगा? विश्लेषकों का मानना है कि विरोध प्रदर्शनों के खत्म होने से राज्य विधानसभा चुनावों के लिए दिलचस्प संभावनाएं सामने आएंगी।
पंजाब में किसानों के एक बड़े तबके ने भारतीय जनता पार्टी का बहिष्कार किया था। अब ऐसे में यह माना जा रहा है कि पंजाब की राजनीती में सत्ताधारी कांग्रेस को मुख्य रूप से आम आदमी पार्टी (आप) से भी चुनौती मिल सकती है। पंजाब विधानसभा चुनाव पर कई विशेषकों का मानना है कि यहां किसी का भी खेला हो सकता है और इसमें किसान अपनी महत्वपूर्ण भूमिका में होंगे जो किसी भी दल के राजनैतिक रणनीति को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं।