
Desk : भारतीय कंपनियां विकलांग व्यक्तियों (PwD) को अपनी कार्यबल का हिस्सा बनाने में तेजी से कदम बढ़ा रही हैं। पिछले तीन वर्षों में इस श्रेणी में नौकरी पोस्टिंग में 30-40 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो कॉर्पोरेट क्षेत्र में विविधता, समानता और समावेशन (DEI) के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
कंपनियों का मानना है कि विकलांग व्यक्तियों को नौकरी पर रखना न केवल एक सामाजिक जिम्मेदारी है, बल्कि यह व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी रणनीतिक लाभ प्रदान करता है। इस्पात, बीमा और खनन जैसे क्षेत्रों में कार्यस्थल की सुगमता पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। फ्यूचर जनरली इंडिया के प्रमुख अनूप राऊ का कहना है कि उनकी कंपनी ने विकलांग कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई है और यह सुनिश्चित किया है कि समावेशन सिर्फ एक नीति नहीं, बल्कि एक सार्थक बदलाव है।
वेदांता और टाटा स्टील जैसी कंपनियां भी विकलांग कर्मचारियों की भर्ती में सक्रिय रूप से लगी हुई हैं। वेदांता ने कार्यस्थल पर सुगमता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे रैम्प, ब्रेल-सक्षम लिफ्ट और टेक्स्ट-टू-स्पीच सॉफ़्टवेयर।
फर्स्ट मेरिडियन ग्लोबल सर्विसेज के मनमीत सिंह ने कहा कि भारत में विकलांग व्यक्तियों की नियुक्ति में लगातार वृद्धि हो रही है, और 2030 तक इसमें दोगुनी वृद्धि होने की उम्मीद है। हालांकि, रैंडस्टैड इंडिया के अध्ययन से यह भी पता चला है कि विकलांग व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से जूनियर और मध्य स्तर पर है, जबकि उच्च प्रबंधन स्तर पर उनका प्रतिनिधित्व कम है।
कुल मिलाकर, भारतीय कॉरपोरेट क्षेत्र में विकलांग व्यक्तियों को रोजगार देने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, और इसे एक आशाजनक भविष्य के रूप में देखा जा रहा है, जहां DEI नीतियों के तहत विविधता और समावेशन को महत्व दिया जा रहा है।