
भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2022 में 8.4 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2033 तक 44 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य रखती है, जैसा कि FICCI-EY की रिपोर्ट में कहा गया है, जिसका शीर्षक है ‘Unlocking India’s Space Economy – Pathways to Growth, Innovation and Global Leadership’। यह रिपोर्ट आज ‘भारतीय अंतरिक्ष सम्मेलन 2025’ में जारी की गई, जो FICCI द्वारा आयोजित किया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2035 तक 1.8 ट्रिलियन डॉलर से अधिक होने का अनुमान है, जिसमें वाणिज्यिक उपग्रह सेवाएं, गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण और अंतरिक्ष-आधारित ढांचा प्रमुख योगदानकर्ता होंगे। भारत ने 2022 में 8.4 बिलियन डॉलर से अपनी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को बढ़ाकर 2033 तक 44 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जो वैश्विक बाजार का 8 प्रतिशत हिस्सा कब्जित करने की योजना बना रहा है।
यह वृद्धि नीति सुधारों, निजी क्षेत्र की भागीदारी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से संभव हो रही है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 और IN-SPACe और NSIL जैसे संस्थानों से समर्थन मिल रहा है। FICCI-EY की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र अब सरकारी नेतृत्व से बदलकर वाणिज्यिक और नवाचार-प्रेरित पारिस्थितिकी तंत्र में विकसित हो रहा है।
सैटेलाइट कम्युनिकेशन (SATCOM) और पृथ्वी अवलोकन (EO) का योगदान
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सैटेलाइट कम्युनिकेशन, जो 2033 तक 14.8 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, खासकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में। LEO और MEO उपग्रहों के नेटवर्क का लाभ उठाकर भारत ब्रॉडबैंड पहुँच बढ़ा सकता है और वित्तीय समावेशन और डिजिटल बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ कर सकता है, जो डिजिटल इंडिया और भारतनेट जैसी प्रमुख योजनाओं का समर्थन करेगा।
पृथ्वी अवलोकन और रिमोट सेंसिंग का बढ़ता उपयोग, जो 2033 तक 8 बिलियन डॉलर का योगदान करेगा, पहले ही कृषि, आपदा प्रबंधन और जलवायु सहनशीलता को बदल रहा है।
डॉ. पवन गोएंका का बयान
IN-SPACe के चेयरमैन डॉ. पवन गोएंका ने ‘FICCI भारत अंतरिक्ष सम्मेलन 2025’ में कहा कि भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र की वृद्धि के लिए हमें क्षमता, कौशल, बुनियादी ढांचा, अंतरराष्ट्रीय साझेदारी, वित्तपोषण और मांग की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि Earth Observation Preparatory Program (EOPP) एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारतीय निजी अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
सैटेलाइट कम्युनिकेशन में निजी क्षेत्र की भागीदारी
डॉ. गोएंका ने सैटेलाइट कम्युनिकेशन (SATCOM) के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी को भी रेखांकित किया, जिसमें पहली बार एक कंपनी को ISRO द्वारा अप्रयुक्त फ्रिक्वेंसी का उपयोग करने का अधिकार मिला है। उन्होंने बताया कि यह सिर्फ एक शुरुआत है और निजी क्षेत्र को अन्य फ्रिक्वेंसी उपलब्ध कराई जाएंगी।
अंतरिक्ष के रणनीतिक अनुप्रयोग
डॉ. एएस किरण कुमार, स्पेस कमीशन के सदस्य और पूर्व ISRO चेयरमैन ने कहा कि अंतरिक्ष आज एक ऐसा क्षेत्र बन गया है जो रणनीतिक अनुप्रयोगों के साथ-साथ अंतरिक्ष पर्यटन, साहसिक अंतरिक्ष, और अंतरिक्ष निवास जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लाभ प्रदान कर सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि जल्द ही NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar उपग्रह का लॉन्च होने वाला है।
आखिरकार, भारत को वैश्विक नेतृत्व में अग्रणी स्थान प्राप्त होगा
FICCI स्पेस और जियोग्राफिकल एप्लीकेशंस समिति के चेयर और L&T के एयरोस्पेस सिस्टम्स बिजनेस के प्रमुख लक्ष्मेश BH ने कहा कि ISRO के नेतृत्व में भारत की अंतरिक्ष यात्रा हमारी मेहनत, नवाचार और वैश्विक नेतृत्व का प्रतीक है।
2033 तक भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र 44 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य न केवल देश की अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ावा देगा, बल्कि दुनिया भर में भारत को एक अग्रणी अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करेगा।