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भारत बना वैश्विक शक्ति संतुलन का केंद्र, NATO की धमकियों के बीच मजबूत तेल सौदे

भारत ने रूस से तेल सौदों पर NATO की धमकियों के बावजूद अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखी है। जानिए कैसे भारत वैश्विक शक्ति संतुलन में नया केंद्र बन रहा है।

भारत कैसे दुनिया की राजनीति और कूटनीति में एक नया संतुलन बना रहा है। हाल ही में NATO यानी पश्चिमी देशों के सैन्य गठबंधन ने भारत को अप्रत्यक्ष रूप से चेतावनी दी है कि अगर वह रूस से तेल खरीद जारी रखता है, तो उस पर भी कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

लेकिन भारत ने साफ कर दिया है.. हम अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए किसी का इशारा नहीं मानेंगे। रूस से सस्ता कच्चा तेल मिल रहा है, और इससे देश की अर्थव्यवस्था को बड़ी राहत मिली है।

भारत का कहना है कि रूस से तेल खरीदना कोई राजनीतिक पक्ष नहीं है, ये एक ज़रूरत है। और इसमें कोई नैतिक या कानूनी गलती नहीं है, खासकर तब जब यूरोपीय देश खुद भी लंबे समय तक रूस से तेल लेते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस पर स्पष्ट रुख लिया है… चाहे वह तेल सौदे हों, या रूस से मिसाइल सिस्टम की डील… भारत किसी दबाव में नहीं आएगा।

इस वक्त भारत ना तो पूरी तरह पश्चिम के साथ है, ना ही रूस का पक्ष ले रहा है। भारत खुद की नीति पर चल रहा है… इसे कहते हैं रणनीतिक स्वायत्तता। आज भारत G20, BRICS, और QUAD जैसे मंचों पर सक्रिय है, और अब वह सिर्फ एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन में अहम भूमिका निभा रहा है।

NATO की धमकियों के बीच, भारत की आवाज़ और मज़बूत होती दिख रही है। यह सिर्फ कूटनीति नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की असली तस्वीर है।

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