
भारत ने अपने बंदरगाह बुनियादी ढांचे का विस्तार करने और व्यापार में आसानी को बढ़ाने के लिए व्यापक सुधारों की शुरुआत की है। इन सुधारों के सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं, जिससे बंदरगाहों की दक्षता बढ़ रही है, कार्गो का प्रवाह मजबूत हो रहा है और निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। यह जानकारी केंद्रीय शिपिंग, पोर्ट्स और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सिंगापुर में आयोजित सिंगापुर मैरीटाइम वीक (24-28 मार्च) के दौरान दी।
2047 तक शीर्ष 5 शिपबिल्डिंग देशों में शामिल होगा भारत
मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर एक विश्वसनीय और प्रतिस्पर्धी शिपबिल्डिंग हब बनने की दिशा में कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा, “हम नीतिगत प्रोत्साहनों, व्यापार में आसानी और बुनियादी ढांचे को मजबूत करके 2047 तक भारत को दुनिया के शीर्ष पांच जहाज निर्माण देशों में शामिल करने की नींव रख रहे हैं।”
ग्रीन और सस्टेनेबल समुद्री भविष्य की दिशा में कदम
भारत अपने बंदरगाह संचालन को ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर से सशक्त कर रहा है, जिससे निम्न-उत्सर्जन शिपिंग को प्रोत्साहित किया जा रहा है और ग्रीन समुद्री अर्थव्यवस्था का आधार तैयार किया जा रहा है। भारतीय शिपयार्ड पहले से ही कम-कार्बन जहाजों के विकास में नवाचार कर रहे हैं।
सरकार ने कांडला, तूतीकोरिन और पारादीप में ग्रीन हाइड्रोजन हब पोर्ट्स स्थापित करने की योजना बनाई है, जिससे ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव्स के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, वैकल्पिक ईंधनों के उपयोग को समुद्री क्षेत्र में प्राथमिकता दी जाएगी।
भारत-सिंगापुर ग्रीन और डिजिटल कॉरिडोर बनेगा नया व्यापार मार्ग
मंत्री ने बताया कि भारत ग्रीन शिपिंग कॉरिडोर विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें प्रस्तावित भारत-सिंगापुर ग्रीन और डिजिटल कॉरिडोर भी शामिल है। यह कॉरिडोर स्वच्छ ऊर्जा, स्मार्ट लॉजिस्टिक्स और स्थिरता पर केंद्रित होगा।
उन्होंने डिजिटलाइजेशन और नवाचार पर जोर देते हुए बताया कि गुजरात स्थित ड्यूटी-फ्री GIFT सिटी को वैश्विक समुद्री वित्त और जहाज लीजिंग हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां अनुकूल कर और नियामक ढांचा होने के कारण अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजारों तक आसानी से पहुंच बनाई जा सकती है।
20 अरब डॉलर के निवेश से समुद्री इकोसिस्टम को मिलेगा बढ़ावा
सरकार 20 अरब डॉलर के निवेश के साथ मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स, पोर्ट कनेक्टिविटी और व्यापार सुविधाओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। भारत के बंदरगाह वर्तमान में वैश्विक कार्गो का 6% हिस्सा संभालते हैं, जिसे 2047 तक 15% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड की स्थापना की जाएगी, जिससे जहाजों के बेड़े का विस्तार, शिपयार्ड आधुनिकीकरण और रणनीतिक समुद्री बुनियादी ढांचे को वित्तीय सहायता मिलेगी।
यूएई और सिंगापुर के साथ वर्चुअल ट्रेड कॉरिडोर
भारत यूएई और सिंगापुर जैसे वैश्विक भागीदारों के साथ मिलकर वर्चुअल ट्रेड कॉरिडोर स्थापित कर रहा है। यह कॉरिडोर डिजिटल रूप से बंदरगाहों को जोड़कर सुगम कार्गो मूवमेंट और बाधाओं को कम करने में मदद करेगा।
वैश्विक व्यापार मार्गों में भारत की बड़ी भागीदारी
सरकार भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEEC), ईस्टर्न मैरीटाइम कॉरिडोर और इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर जैसे रणनीतिक व्यापार मार्ग विकसित कर रही है। इनसे अंतर-महाद्वीपीय व्यापार अधिक विविधतापूर्ण और सुरक्षित बनेगा।
मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “समुद्र हमें अलग नहीं करता, बल्कि जोड़ता है। हम मिलकर आज की चुनौतियों को कल के अवसरों में बदल सकते हैं और एक ऐसा समुद्री विश्व बना सकते हैं जो संपूर्ण मानवता की सेवा करे।”
निष्कर्ष
सरकार द्वारा उठाए गए इन कदमों से भारत जल्द ही वैश्विक समुद्री शक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा। ग्रीन पोर्ट्स, डिजिटल ट्रेड कॉरिडोर और वर्चुअल ट्रेड मार्गों के माध्यम से व्यापार में क्रांतिकारी बदलाव आएगा और भारत 2047 तक शिपबिल्डिंग और पोर्ट मैनेजमेंट का वैश्विक केंद्र बन सकता है।









