
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता को बढ़ावा देने वाला कदम
विश्व सतत विकास सम्मेलन 2025 के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि भारत ने 2020 में 7.93% ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में कमी की, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
यादव ने कहा, “ग्लोबल साउथ जलवायु एजेंडा को चला रहा है, और अब दुनिया भारत को एक नेता के रूप में देखती है। 2020 में भारत ने 7.93% GHG उत्सर्जन में कमी की, जो जलवायु कार्रवाई के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
भारत ने जनवरी में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) को अपनी चौथी द्विवार्षिक रिपोर्ट में सूचित किया कि 2019 की तुलना में 2020 में राष्ट्रीय GHG उत्सर्जन में 7.93% की कमी आई और 1994 के बाद से यह 98.34% बढ़ गया। देश ने अपने आर्थिक विकास को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से अलग करने में सफलता हासिल की है, जिससे 2005 और 2020 के बीच जीडीपी के उत्सर्जन की तीव्रता में 36% की कमी आई है।
कोविड-19 का प्रभाव और भारत की जलवायु नीति में बदलाव
विशेषज्ञों ने पहले सुझाव दिया था कि 2020 में GHG उत्सर्जन में कमी का कारण कोविड-19 महामारी का आर्थिक प्रभाव भी हो सकता है। वैश्विक महामारी ने भारत की जनसंख्या, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिसमें 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.7% का संकुचन हुआ। इसके बाद, भारत सरकार ने कोविड-19 महामारी के प्रभावों से निपटने और आर्थिक वृद्धि को पुनः सक्रिय करने के लिए कई उपाय किए।
भारत की जलवायु नेतृत्व की दिशा में प्रतिबद्धता
इस अवसर पर गयाना के प्रधानमंत्री ब्रिगेडियर मार्क फिलिप और ब्राजील की पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री मरीना सिल्वा भी उपस्थित थे। यादव ने कहा कि भारत एक वैश्विक जलवायु नेता के रूप में यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि जलवायु कार्रवाई समावेशी, महत्वाकांक्षी और सहयोगी बनी रहे।
उन्होंने यह भी कहा कि ग्लोबल साउथ, जिसमें भारत भी शामिल है, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना कर रहा है, लेकिन यह सतत विकास प्रथाओं पर आधारित समाधान भी प्रस्तुत कर सकता है। उन्होंने विकसित देशों से पेरिस समझौते के तहत अपने वित्तीय और प्रौद्योगिकीय वादों को पूरा करने का आग्रह किया। यादव ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDCs) को मजबूत किया जा सके और जलवायु कार्रवाई की चुनौतियों और अवसरों दोनों को सही तरीके से संबोधित किया जा सके।
जलवायु अनुकूलन वित्त को बढ़ाने की आवश्यकता
यादव ने जलवायु अनुकूलन वित्त में वृद्धि की अपील की और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता बताई कि सबसे कमजोर क्षेत्र समाधान लागू करने में सक्षम हों, जो स्थिरता बनाए रखने और आजीविका की सुरक्षा को सुनिश्चित करें।
भारत का दीर्घकालिक दृष्टिकोण: 2047 तक विकसित भारत
यादव ने भारत की दीर्घकालिक दृष्टि का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत 2047 तक एक विकसीत भारत बनने का लक्ष्य रखता है, और 2070 तक शून्य उत्सर्जन (नेट-जीरो) प्राप्त करने की योजना है। उन्होंने भारत की प्रगति को रेखांकित किया, जिसमें 2005 और 2020 के बीच जीडीपी के उत्सर्जन की तीव्रता में 36% की कमी आई है, और 2030 तक 45% की कमी का लक्ष्य रखा गया है। 2025 के केंद्रीय बजट में ऊर्जा सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा क्षमता के विस्तार और ग्रीन प्रौद्योगिकियों के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।
वैश्विक शासन में सुधार की आवश्यकता
मंत्री ने वैश्विक शासन में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि जलवायु वार्ताओं में समानता और न्याय को प्रमुख स्थान दिया जाए।