
हालिया घटनाओं ने भारत की अर्थव्यवस्था की ताकत और उसके वैश्विक प्रभाव को स्पष्ट कर दिया है। महज कुछ सालों में, भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता, प्रगतिशील नीतियों, और देश के आधारभूत सुधारों को जाता है। अगर वर्तमान गति बनी रहती है, तो भारत तीन सालों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है।
भारत का $4.19 ट्रिलियन GDP अब सिर्फ अमेरिका ($30.51 ट्रिलियन), चीन ($19.23 ट्रिलियन) और जर्मनी ($4.74 ट्रिलियन) से पीछे है। इस ऐतिहासिक वृद्धि के पीछे सिर्फ संयोग नहीं, बल्कि मजबूत नीति सुधार और सरकार का दीर्घकालिक विकास एजेंडा है।
प्रधानमंत्री मोदी की दृष्टि और प्रमुख सुधार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के आर्थिक विकास को एक नया दिशा देने के लिए बुनियादी ढांचे और आर्थिक विकास को अपनी सरकार की रीढ़ बना दिया है। हाईवे, एयरपोर्ट, मेट्रो नेटवर्क, और लॉजिस्टिक्स कॉरिडोर का रिकॉर्ड विस्तार हुआ है। “गति शक्ति” प्लेटफॉर्म ने मंत्रालयों के बीच डेटा एकीकरण के माध्यम से परियोजनाओं के क्रियान्वयन को तेज किया है।
“Make in India” मिशन ने अब सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि ठोस परिणाम दिए हैं। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI) के तहत, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, ऑटोमोबाइल और फार्मास्युटिकल जैसे क्षेत्रों में वैश्विक कंपनियों को आकर्षित कर रहा है। एप्पल द्वारा भारत में iPhone निर्माण की शुरुआत इस बदलाव का एक उदाहरण है।
स्टार्ट-अप नेशन से ग्रामीण भारत तक
भारत अब 100 से अधिक यूनिकॉर्न्स का घर बन चुका है और दुनिया के शीर्ष तीन स्टार्ट-अप इकोसिस्टम्स में शामिल है। यह स्टार्ट-अप लहर अब सिर्फ मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि Tier-II और Tier-III शहरों में भी नवाचार के नए केंद्र उभर रहे हैं। Fintech, Agritech, Edtech और Healthtech में नवाचार और निवेश बढ़ रहा है।
सरकारी योजनाओं जैसे Startup India, Digital India, और UPI ने एक मजबूत डिजिटल और वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया है। इसके साथ ही, भारत के युवा, तकनीकी रूप से प्रवीण और इंटरनेट से जुड़ी आबादी के साथ, अब वैश्विक नवाचार केंद्र बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
FDI में वृद्धि और चीन की धीमी वृद्धि
चीन की आर्थिक मंदी ने दुनिया भर में एक नए विकास इंजन की तलाश को जन्म दिया है। भारत, जो अब स्थिर नेतृत्व, विशाल घरेलू बाजार और सुधार-प्रेरित नीतियों के साथ एक प्रमुख विकल्प बनकर उभरा है, विदेशी निवेशकों का ध्यान आकर्षित कर रहा है। 2024 में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) 70 बिलियन डॉलर से अधिक पहुंच चुका है।
भारत की मजबूती और भविष्य
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार स्वस्थ है, महंगाई नियंत्रण में है, और रुपये की स्थिरता देखने को मिल रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सूझबूझ से की गई मौद्रिक प्रबंधन ने स्थिरता बनाए रखी है। भारत का GDP FY25 में 6.8-7% तक बढ़ने का अनुमान है, जो प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है।
सरकारी सुधारों जैसे GST, IBC, और Faceless Tax Assessment ने कारोबार करने में आसानी बढ़ाई है और पारदर्शिता लाई है। डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे ने नागरिक सेवाओं को नया रूप दिया है, और भारत अब इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), हरित हाइड्रोजन, सेमीकंडक्टर, और अंतरिक्ष जैसे भविष्य तैयार क्षेत्रों में निवेश कर रहा है।
वैश्विक भूमिका में भारत की बढ़ती महत्वता
अब भारत केवल एक विकासशील देश नहीं, बल्कि एक अग्रणी शक्ति के रूप में उभर चुका है। G20 अध्यक्षता से लेकर वैश्विक जलवायु नेतृत्व तक, भारत अब दुनिया के मंच पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत का समय आ गया है। हमारी अर्थव्यवस्था में दुनिया का विश्वास हमारी नीतियों, प्रदर्शन, और संभावनाओं का प्रमाण है।”
IMF की प्रबंध निदेशक Kristalina Georgieva ने भी कहा, “भारत सिर्फ एक उभरता हुआ बाजार नहीं है, यह एक अग्रणी बाजार है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार दे रहा है।









