
IND vs AUS: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच दुबई क्रिकेट स्टेडियम में चल रहे चैम्पियंस ट्रॉफी के पहले सेमीफाइनल मैच में एक बार फिर से भारतीय कप्तान रोहित शर्मा टॉस की बाजी हार गए। यह लगातार 14वीं बार है जब रोहित शर्मा और टीम इंडिया ने वनडे फॉर्मेट में टॉस गंवाया है। हालांकि, पिछले कुछ समय में टीम इंडिया ने यह साबित किया है कि टॉस हारने का उनके प्रदर्शन पर कोई खास असर नहीं पड़ा है।
भारत को टॉस हारने का ‘फायदा’ मिलता है या नहीं
रोहित शर्मा के लिए यह लगातार एक चुनौती बनी हुई है, लेकिन अब तक भारत को टॉस हारने के बावजूद कोई खास नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने इस टूर्नामेंट में हर बार टॉस हारने के बावजूद अपनी टीम को शानदार खेल के साथ जीत दिलाई है। अब देखना यह होगा कि इस सेमीफाइनल मुकाबले में भी भारत को टॉस हारने का ‘फायदा’ मिलता है या नहीं।
टॉस हारने का क्या असर होगा?
आमतौर पर टॉस जीतने वाले कप्तान को पहले बल्लेबाजी या गेंदबाजी करने का निर्णय लेने का लाभ मिलता है, खासकर जब पिच और मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया जाता है। लेकिन भारतीय टीम ने अपनी रणनीतियों और शानदार प्रदर्शन के साथ यह साबित किया है कि टॉस हारने के बावजूद वह दबाव में आने के बजाय अच्छा खेल सकती है।
टीम इंडिया का बेहतरीन प्रदर्शन
रोहित शर्मा की कप्तानी में भारतीय टीम का खेल इस टूर्नामेंट में जबरदस्त रहा है। हालांकि, टॉस हारने के बावजूद टीम ने अपने संयम और स्किल्स का सही इस्तेमाल किया और हर बार सफलता हासिल की। इस बात से यह साफ हो जाता है कि भारतीय टीम अब मानसिक रूप से मजबूत है और किसी भी परिस्थिति में खुद को अनुकूलित करने में सक्षम है।
क्या यह ट्रेंड बदलेगा?
इस मैच में भी यही देखा जाएगा कि भारतीय टीम टॉस हारने के बावजूद अपनी रणनीति में कितना सुधार कर सकती है और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी ताकत का इस्तेमाल कर सकती है। टीम इंडिया के पास काफी अनुभवी खिलाड़ी हैं जो किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।
टॉस के हारने से कोई फर्क नहीं पड़ता..
खैर चाहे रोहित शर्मा टॉस हार जाएं, लेकिन भारतीय टीम ने यह साबित किया है कि उन्हें टॉस के हारने से कोई फर्क नहीं पड़ता। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सेमीफाइनल में टीम इंडिया अपने खेल से साबित कर पाती है कि टॉस हारने के बावजूद उसे फायदा हो सकता है।