साल 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था को 6.5% विकास का अनुमान

वित्तीय वर्ष 2025 की पांचवीं तिमाही में निर्यात में सुधार, चुनावों के बाद सरकार का पूंजीगत खर्च और महाकुंभ मेला से जुड़ी आर्थिक गतिविधि से विकास को गति मिल सकती है।

भारत की अर्थव्यवस्था 2025 के वित्तीय वर्ष में 6.5% की वृद्धि हासिल कर सकती है, भले ही विश्व के कई हिस्सों में अस्थिरता और संकट बने हुए हों। यह जानकारी फरवरी 2024 के मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट से मिली है, जिसमें कहा गया कि तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि में तेजी आई, मुख्य रूप से निजी खपत और कोर माल और सेवाओं के निर्यात में वृद्धि के कारण।

महंगाई में कमी और एफडीआई में बढ़ोतरी
रिपोर्ट में बताया गया कि खुदरा महंगाई फरवरी 2025 में 3.6% पर आ गई, जो सात महीने का सबसे निचला स्तर है, और इसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट है। इसके साथ ही, अप्रैल से जनवरी 2025 तक कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में 12.4% की वृद्धि हुई है।

भारत की अर्थव्यवस्था की ताकत और वैश्विक अनिश्चितताएँ
अमेरिका द्वारा शुल्कों की बढ़ोतरी, वैश्विक अनिश्चितताएँ और कुछ क्षेत्रों में युद्ध जैसी स्थितियाँ भारत की अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकती थीं, लेकिन सरकार ने खुलकर शुल्कों पर बातचीत की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था की लचीलापन ने आशा जगाई है, जिससे न केवल विकास में वृद्धि हो रही है, बल्कि भविष्य में स्थिरता भी दिख रही है।

सरकारी खर्च और खपत में वृद्धि से उम्मीदें
कृषि गतिविधियों में उछाल और ग्रामीण मांग में वृद्धि ने सरकार को उम्मीद दी है कि आने वाली तिमाही में विकास और बढ़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार, “वित्तीय वर्ष 2025 की पांचवीं तिमाही में निर्यात में सुधार, चुनावों के बाद सरकार का पूंजीगत खर्च और महाकुंभ मेला से जुड़ी आर्थिक गतिविधि से विकास को गति मिल सकती है।”

मध्यम वर्ग को कर छूट से बढ़ावा
हाल ही में प्रस्तुत संघीय बजट में मध्यम वर्ग को कर छूट प्रदान की गई है, जिससे उनकी क्रय शक्ति में वृद्धि की उम्मीद जताई गई है। सरकार आशावादी है कि इस खर्च से आर्थिक वृद्धि को और बढ़ावा मिलेगा।

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