
भारत की अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर उद्योग जगत के प्रमुखों के बीच आशावाद है। एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, अधिकांश उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6-6.9 प्रतिशत के बीच होगी, जिसका मुख्य कारण तकनीकी प्रगति और व्यापार में सुगमता सुधार होंगे। यह जानकारी ग्रांट थॉर्नटन के प्री-बजट सर्वेक्षण से सामने आई है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से 155 से अधिक उद्योग हितधारकों ने अपने विचार साझा किए।
सर्वेक्षण के अनुसार, अधिकांश उत्तरदाता 2025-26 में 6-6.9 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद जताते हैं, जबकि लगभग 22 प्रतिशत का मानना है कि वृद्धि दर 7-7.9 प्रतिशत के बीच हो सकती है। सर्वेक्षण ने यह भी बताया कि तकनीकी नवाचार और व्यापार में सुगमता सुधार भारतीय आर्थिक वृद्धि के मुख्य चालक होंगे।
सर्वेक्षण के उत्तरदाता मानते हैं कि बजट 2025 को इन प्राथमिकताओं के साथ मेल खाते हुए तैयार किया जाना चाहिए, ताकि यह आर्थिक वृद्धि के लिए एक उत्प्रेरक का काम कर सके, साथ ही समाज में समानता और दक्षता सुनिश्चित कर सके। 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। यह बजट वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और घरेलू विकास में मन्दी के बीच पेश किया जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने भारत की वास्तविक GDP वृद्धि दर के 2024-25 के लिए 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा है, जबकि संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 2025 के लिए अपनी भविष्यवाणी को 6.6 प्रतिशत पर बनाए रखा है। हालांकि, विश्व बैंक और मूडीज़ ने अपने अनुमान को संशोधित करते हुए क्रमशः 6.5 प्रतिशत और 7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जताया है।
ग्रांट थॉर्नटन के सर्वेक्षण के अनुसार, 84 प्रतिशत उत्तरदाता स्वास्थ्य बीमा पर GST कम करने के पक्ष में हैं, जबकि 68 प्रतिशत का मानना है कि SME लेंडिंग और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के माध्यम से वित्तीय समावेशन का विस्तार होगा। लगभग 13 प्रतिशत उत्तरदाता अनुसंधान और विकास के लिए नए कर प्रोत्साहनों की आवश्यकता महसूस करते हैं। इसके अलावा, सर्वेक्षण ने यह भी सुझाव दिया कि बैंकिंग, प्रतिभूति और बीमा क्षेत्रों के बीच समन्वय बढ़ाने की आवश्यकता है, जबकि फिनटेक क्षेत्र ने ब्लॉकचेन और AI नवाचारों के लिए पूंजी की आसान पहुंच और कर प्रोत्साहनों की मांग की है।









