
भारत का ऑटोमोटिव उद्योग देश की $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ते हुए सबसे महत्वपूर्ण प्रेरक शक्ति बनता जा रहा है। अपनी विशालता, विनिर्माण, निर्यात, रोजगार और प्रौद्योगिकी से जुड़ी गहरी कड़ी के साथ, यह क्षेत्र अब केवल एक वाणिज्यिक इंजन के रूप में नहीं देखा जा रहा है, बल्कि भारत की वैश्विक निर्माण और नवाचार हब के रूप में उभरते विश्वास को भी प्रदर्शित कर रहा है।
भारत की ऑटो इंडस्ट्री के अहम आंकड़े
- वैश्विक रैंक: भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है और चौथा सबसे बड़ा वाहन निर्माता है।
- FY 2024-25 में उत्पादन: 31 मिलियन से अधिक वाहन, जिसमें:
- 5.06 मिलियन यात्री वाहन
- 1.03 मिलियन वाणिज्यिक वाहन
- 23.88 मिलियन दो पहिया वाहन
- निर्यात: भारत ने लगभग 5.7 मिलियन वाहन निर्यात किए, जिसमें जापान, मैक्सिको, लैटिन अमेरिका, और अफ्रीका जैसे बाजारों से बढ़ती मांग है।
- आर्थिक योगदान: ऑटो सेक्टर भारत के 7.1% जीडीपी और 49% मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी का हिस्सा है।
नीति के जरिए परिवर्तित होता हुआ क्षेत्र
भारत के ऑटोमोटिव क्षेत्र में होने वाली इस जबरदस्त वृद्धि को सरकार की केंद्रित नीतियों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है। PLI स्कीम जैसी पहलों ने न केवल स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित किया, बल्कि घरेलू विनिर्माण को भी मजबूत किया।
- PLI स्कीम: Rs 25,938 करोड़ की कुल राशि के साथ, यह योजना इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), हाइड्रोजन वाहनों, और स्वचालित प्रणालियों जैसे नए जमाने के प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देती है।
- FAME-II स्कीम: Rs 11,500 करोड़ के बजट के साथ, यह कार्यक्रम भारत में EV गोद लेने को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी प्रदान करता है।
- ACC बैटरी स्कीम: Rs 18,100 करोड़ का बजट भारत को आयातित बैटरियों पर निर्भरता को कम करने में मदद कर रहा है।
EV की राह में चुनौतियाँ
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बढ़ती बिक्री के बावजूद, कुछ महत्वपूर्ण समस्याएं बनी हुई हैं:
- आयातित सामग्री पर निर्भरता: भारत को चीन से महत्वपूर्ण ईवी घटक जैसे दुर्लभ पृथ्वी के चुंबक और लिथियम बैटरियां आयात करनी पड़ती हैं।
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी: भारत में ईवी चार्जिंग स्टेशनों की कमी विशेष रूप से छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में है, जहां यह अपनाना धीमा है।
ICE वाहनों का युग अभी खत्म नहीं हुआ
भारत में अभी भी 92% वाहन पारंपरिक ईंधन जैसे पेट्रोल, डीजल और CNG पर चलते हैं। जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में वृद्धि हो रही है, ICE वाहनों का बाजार अभी भी मजबूत बना हुआ है।
- CNG का विकास: FY 2024-25 में 1.2 मिलियन CNG वाहन पंजीकृत हुए हैं, जो दर्शाते हैं कि उपभोक्ता की पसंद बदल रही है।
भारत का ऑटो कंपोनेंट सेक्टर: अगला बड़ा निर्यात अवसर
भारत का ऑटो कंपोनेंट सेक्टर अब वैश्विक मूल्य श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। FY 2023-24 में इस उद्योग ने Rs 6.14 लाख करोड़ का रिकॉर्ड कारोबार किया। इसके निर्यात में 5.5% की वृद्धि दर्ज की गई।
वैश्विक निवेश में बढ़ती विश्वास
भारत का ऑटो सेक्टर वैश्विक निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन चुका है। कंपनियाँ जैसे VinFast (वियतनाम), जो तमिलनाडु में एक बड़ा EV निर्माण संयंत्र स्थापित कर रही है, इस बात का प्रमाण हैं कि भारत का बाजार और नीति स्थिरता में विश्वास बढ़ रहा है।
सततता: अगली ऑटो क्रांति को बढ़ावा देगी?
भारत का ऑटो उद्योग आज एक निर्णायक मोड़ पर है। यह सिर्फ कारें, बाइक या बसें नहीं बना रहा, बल्कि यह वृद्धि, रोजगार, नवाचार और राष्ट्रीय आत्मविश्वास पैदा कर रहा है।
निष्कर्ष: $5 ट्रिलियन के लक्ष्य की ओर मार्ग
भारत के ऑटो सेक्टर को अपने पूरी क्षमता तक पहुंचने के लिए न केवल नीति स्थिरता की आवश्यकता होगी, बल्कि इसके साथ ही ग्रीन मोबिलिटी इंफ्रास्ट्रक्चर और आवश्यक घटकों का घरेलू निर्माण भी प्राथमिकता बनानी होगी।









