भारत की बायोइकोनॉमी 2025, $165.7 बिलियन तक पहुंची, वैक्सीन और ईथेनॉल में हासिल किए नए मील के पत्थर

भारत की सतत विकास और नवाचार की आधारशिला बनती जा रही है। इसका प्रमुख श्रेय जैव प्रौद्योगिकी, कृषि नवाचार, बायोमैन्युफैक्चरिंग और हेल्थकेयर में हुए प्रगतिशील कदमों को जाता है।

पिछले एक दशक में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बायोइकोनॉमी में से एक बन गया है। 2014 में $10 बिलियन के स्तर से बढ़कर 2024 में यह $165.7 बिलियन तक पहुंच गई है। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक बायोइकोनॉमी का आकार $300 बिलियन हो, जिससे यह भारत की सतत विकास और नवाचार की आधारशिला बनती जा रही है। इसका प्रमुख श्रेय जैव प्रौद्योगिकी, कृषि नवाचार, बायोमैन्युफैक्चरिंग और हेल्थकेयर में हुए प्रगतिशील कदमों को जाता है।

देश की बायोइकोनॉमी के चार प्रमुख उप-क्षेत्र हैं – बायोइंडस्ट्रियल (47%), बायोफार्मा (35%), बायोएग्री (8%) और बायोरिसर्च (9%)।

2025 में भारत ने कई महत्वपूर्ण जैव प्रौद्योगिकी मील के पत्थर हासिल किए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ग्लोबल वैक्सीन मार्केट रिपोर्ट के अनुसार, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की वैश्विक वैक्सीन मार्केट में हिस्सेदारी (कोविड-19 वैक्सीन को छोड़कर) 2021 में 19% से बढ़कर 2023 में 24% हो गई। यह वृद्धि मुख्यतः न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (PCV), खसरा-रूबेला (MR) और टेटनस-डिप्थीरिया (Td) वैक्सीन के उत्पादन में बढ़ोतरी से हुई।

वैश्विक वैक्सीन बाजार अत्यधिक केंद्रित है, जिसमें 10 निर्माता 80% से अधिक वैक्सीन सप्लाई करते हैं। इसमें भारत की तीन कंपनियाँ – सीरम इंस्टिट्यूट, भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई – शामिल हैं। भारत ने WHO की वैक्सीन खरीद का 40% हिस्सा सप्लाई किया, जिसमें अधिकांश घरेलू उपयोग के लिए गया और 20% निर्यात WHO अफ्रीकी क्षेत्र को किया गया।

साथ ही भारत ने 2025 में पेट्रोल में 20% ईथेनॉल ब्लेंडिंग (E20) हासिल कर ली है, जो मूल लक्ष्य से पांच साल पहले है। 2014 में यह केवल 1.5% थी। ईथेनॉल कार्यक्रम ने किसानों की आमदनी बढ़ाने, गन्ने के बकाया निपटाने और मक्का की खेती को लाभकारी बनाने जैसे कई लाभ दिए हैं। 2014–15 से जून 2025 तक किसानों को ईथेनॉल फीडस्टॉक के लिए 1,21,000 करोड़ रुपये मिल चुके हैं।

इस वर्ष ही 20% ब्लेंडिंग से किसानों को करीब 40,000 करोड़ रुपये की आय और विदेशी मुद्रा में लगभग 43,000 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है।

भारत की यह प्रगति स्पष्ट रूप से दिखाती है कि बायोइकोनॉमी अब देश के सतत विकास और वैश्विक नवाचार में एक मजबूत आधार बन चुकी है।

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