
New Delhi : 7 मई की आधी रात को लॉन्च हुआ ऑपरेशन सिंदूर — भारत की अब तक की सबसे आक्रामक सैन्य प्रतिक्रिया न केवल आतंक के ठिकानों पर हमला था, बल्कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीतिक सोच में आए बदलाव का स्पष्ट संकेत भी था।
🩸 पहलगाम हत्याकांड
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर की गई बर्बर आतंकी घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। जवाब में, भारत ने संयम नहीं, निर्णायक सैन्य कार्रवाई की नीति अपनाई।
✈️ ऑपरेशन सिंदूर की खास बातें…”
9 आतंकी ठिकानों पर हमले, जिनमें मुरीदके और बहावलपुर जैसे लश्कर और जैश के मुख्यालय शामिल थे, स्टैंड-ऑफ हथियारों का इस्तेमाल: एयर-लॉन्च क्रूज़ मिसाइलें, लूटरिंग म्यूनिशन और लॉन्ग-रेंज ड्रोन
जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया
ऑपरेशन का उद्देश्य सिर्फ प्रतीकात्मक जवाब नहीं, बल्कि आतंकी क्षमता को कमजोर करना था
🇮🇳 नई सैन्य सोच: अब संयम नहीं, नियमित जवाब
मोदी सरकार की नीति अब यह मानती है कि
“आतंकवाद और उसके सैन्य संरक्षकों में कोई अंतर नहीं किया जाएगा। परमाणु हथियारों की धमकियों से भारत अब नहीं डरता।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को ऑपरेशन सिंदूर को “नया मानक” बताते हुए कहा कि अब “नई सामान्य स्थिति (new normal)” यही है — हर आतंकी हमले का सीधा, सटीक और सैन्य जवाब।
🧠 मनोवैज्ञानिक दबाव और आतंकी तंत्र में दरार
अब पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन हमेशा खतरे में रहेंगे
मुरीदके और बहावलपुर जैसे “सुरक्षित” ठिकाने अब कमजोर कड़ियाँ बन चुके हैं
आतंकियों को अब अपने संसाधनों का बड़ा हिस्सा छिपने, बचने और पुनर्निर्माण में लगाना होगा, जिससे हमलावर रणनीतियाँ कमजोर होंगी
लक्षित हमलों से कई वरिष्ठ नेताओं के परिवारों की मौत और मसूद अजहर जैसे आतंकियों पर हमले से कमांड स्ट्रक्चर में डर और अविश्वास फैला
🛡️ इज़राइल की रणनीति से प्रेरणा, ‘माउइंग द ग्रास’
जैसे इज़राइल समय-समय पर हिज़्बुल्ला और हमास की ताक़त को कम करने के लिए सैन्य कार्रवाई करता है, वैसे ही भारत अब आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की बजाय उसकी क्षमता को लगातार कमजोर करने की नीति अपना रहा है।
विश्लेषक अर्सन तरापुर के अनुसार
“भारत अब मानता है कि पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद एक अस्थायी समस्या नहीं बल्कि स्थायी वास्तविकता है।”
🔭 आगे की चुनौती
आतंकी अब सतर्क रहेंगे — अगली बार उन्हें खोज निकालना और मारना कठिन होगा
भारत को अपनी खुफिया और स्ट्राइक क्षमताओं को और तेज़ करना होगा
सार्वजनिक अपेक्षाएं बढ़ीं हैं, हर हमले पर “बड़ी कार्रवाई” की मांग भी बढ़ेगी
केवल सैन्य प्रतिक्रिया पर्याप्त नहीं — भारत को राजनयिक दबाव, आर्थिक हथियार (जैसे सिंधु जल संधि) और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का भी इस्तेमाल करना होगा









