
नई दिल्ली: भारत का डीजल निर्यात यूरोप की ओर अगस्त महीने में सालाना आधार पर 137% बढ़कर 2,42,000 बैरल प्रति दिन (bpd) हो गया। इस बढ़ोतरी के पीछे प्रमुख कारण यूरोपीय संघ का जनवरी 2026 से रूस के क्रूड से बने ईंधन पर प्रतिबंध है, जिससे रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे बड़े निर्यातकों के लिए बाजार में बदलाव की उम्मीद है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज, जो भारत की सबसे बड़ी रुस क्रूड प्रोसेसिंग और ईंधन निर्यात कंपनी है, यूरोपीय बाजार के इस बदलाव से सीधे प्रभावित हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यूरोप के इस प्रतिबंध के मद्देनजर यूरोपीय खरीदार अपनी मांगों को पूरा करने के लिए भारतीय डीजल की ओर रुख कर रहे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय तेल कंपनियों के लिए यह स्थिति अल्पकालिक अवसर पैदा कर सकती है, जबकि लंबी अवधि में यूरोपीय बाजार में प्रवेश के नियमों और प्रतिबंधों पर ध्यान देना होगा। भारत की बढ़ती डीजल आपूर्ति ने यूरोप में ऊर्जा सुरक्षा की चिंता को भी कुछ हद तक कम किया है।









