भारत के GCC बने नवाचार के केंद्र, 2030 तक $100 बिलियन उद्योग बनने की उम्मीद !

भारत के ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) ने बैक-ऑफिस सेवाओं से आगे बढ़ते हुए नवाचार और प्रतिभा के हब के रूप में खुद को स्थापित कर लिया है। बेंगलुरु टेक समिट 2024 में तकनीकी उद्योग के नेताओं ने यह कहा। कंपनियां, जिन्होंने भारत में संचालन की शुरुआत केवल लागत बचत के लिए की थी, अब अपने भविष्य की योजनाएं यहीं तैयार कर रही हैं।

Bengaluru : भारत के ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) ने बैक-ऑफिस सेवाओं से आगे बढ़ते हुए नवाचार और प्रतिभा के हब के रूप में खुद को स्थापित कर लिया है। बेंगलुरु टेक समिट 2024 में तकनीकी उद्योग के नेताओं ने यह कहा। कंपनियां, जिन्होंने भारत में संचालन की शुरुआत केवल लागत बचत के लिए की थी, अब अपने भविष्य की योजनाएं यहीं तैयार कर रही हैं।

SAP के उपाध्यक्ष और प्रमुख रणनीति अधिकारी माइल्स ने कहा, “GCC अब सिर्फ बैकएंड कार्यों तक सीमित नहीं हैं। ये नवाचार का नेतृत्व करने में सक्षम हो चुके हैं।” उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि SAP इंडिया ने 1996 में बेंगलुरु से केवल 100 कर्मचारियों के साथ अपनी शुरुआत की थी, जो अब 16,000 कर्मचारियों तक पहुंच गया है।

नवाचार और विकास का सफर

SAP ने अपने भारतीय विकास केंद्र को वैश्विक नवाचार केंद्रों का हिस्सा बनाने का निर्णय लिया। माइल्स ने कहा, “हमने इसे सिर्फ ऑफशोर सेंटर नहीं बनाया, बल्कि इसे हमारे वैश्विक विकास केंद्रों में से एक बनाया। आज, भारत में विकसित कई समाधान वैश्विक स्तर पर अपनाए जा रहे हैं।”

इसी तरह, टारगेट इंडिया की एंड्रिया जिमरमैन ने बताया कि बेंगलुरु केंद्र में मर्चेंडाइजिंग, स्टोर डिजाइन, फाइनेंस, सप्लाई चेन जैसे हर प्रमुख विभाग की उपस्थिति है। उन्होंने कहा, “हमारे भारतीय केंद्र का काम अमेरिकी संचालन के लिए उच्च मूल्य और प्रभाव पैदा कर रहा है। हमारी टीम, जो 1,800 से बढ़कर 5,000 हो चुकी है, इसका प्रमाण है।”

2030 तक GCCs का भविष्य

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के GCCs 2030 तक $100 बिलियन का उद्योग बन सकते हैं और 2.5 मिलियन पेशेवरों को रोजगार देंगे। वर्तमान में, देश में 1,700 से अधिक GCCs हैं, जो $64.6 बिलियन का वार्षिक राजस्व उत्पन्न करते हैं और लगभग 1.9 मिलियन लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं।

फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट्स के विजय किशन ने कहा कि उनकी कंपनी ने भी शुरुआत में भारत में लागत बचत के लिए काम शुरू किया था, लेकिन अब भविष्य की योजनाएं यहीं बनाई जा रही हैं। “हमने यहां कंपनी का एक सूक्ष्म मॉडल तैयार किया है, जो तकनीक, डेटा साइंस और एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में भविष्य के समाधान तैयार कर रहा है,” उन्होंने कहा।

AI और नई तकनीकों पर जोर

HSBC टेक्नोलॉजी इंडिया के सीईओ प्रदीप मेनन ने कहा कि GCCs को ग्राहक-केंद्रितता और व्यावसायिक जुड़ाव को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने कहा, “जो हमें यहां तक लाया है, वह हमें आगे नहीं ले जा सकता। इसलिए GCCs को नई तकनीकों के लिए खुद को तैयार करना होगा।”

SAP के माइल्स ने भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर निवेश बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि चीन और अमेरिका AI पेटेंट में अग्रणी हैं, लेकिन भारत भी इस क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ा सकता है।

भारत के GCC अब वैश्विक तकनीकी नवाचार के महत्वपूर्ण केंद्र बन चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में प्रतिभा और नई तकनीकों के विकास पर जोर देश को वैश्विक स्तर पर और मजबूत बनाएगा।

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