
भारत की फार्मास्यूटिकल उद्योग ने 2047 तक अपने निर्यात को 350 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है, जो वर्तमान स्तर से 10-15 गुना अधिक है।
वैल्यु चेन में बदलाव के साथ उभरते अवसर
भारत, जो पहले ही जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति में वैश्विक नेता बन चुका है, अब विशेष जेनेरिक, बायोसिमिलर, और नवाचार फार्मास्यूटिकल उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करते हुए वैल्यु चेन में वृद्धि करने की योजना बना रहा है।
फार्मा निर्यात में वृद्धि की भविष्यवाणी
भारत का फार्मास्यूटिकल निर्यात 2023 में लगभग 27 बिलियन डॉलर था, जो 2030 तक 65 बिलियन डॉलर और 2047 तक 350 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
एपीआई और बायोसिमिलर के निर्यात में वृद्धि
एपीआई (एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडियंट्स) के निर्यात में 2047 तक 80-90 बिलियन डॉलर तक वृद्धि हो सकती है। वहीं, बायोसिमिलर निर्यात में 2030 तक 4.2 बिलियन डॉलर और 2047 तक 30-35 बिलियन डॉलर तक वृद्धि की संभावना है।
भारत के फार्मा निर्यात में विशेष जेनेरिक का योगदान
भारत के जेनेरिक फार्मा निर्यात 19 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुके हैं, जो कुल निर्यात का 70 प्रतिशत है। यह 2047 तक 180-190 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की संभावना है।
फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में सरकारी और निजी क्षेत्र की साझेदारी
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के फार्मा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग महत्वपूर्ण होगा। निजी इक्विटी और वेंचर कैपिटल निवेशों में वृद्धि के साथ, फार्मास्यूटिकल क्षेत्र को आर्थिक योगदान और निर्यात में मजबूती मिलेगी।
भारत का फार्मा क्षेत्र: 2047 तक एक नई दिशा
भारत का फार्मास्यूटिकल क्षेत्र भविष्य में बायोसिमिलर, वैक्सीन्स और उन्नत उपचारों के निर्यात में प्रमुख भूमिका निभाएगा, और यह वैश्विक फार्मा उद्योग में एक शक्तिशाली स्थान हासिल करेगा।









