
नई दिल्ली। भारत में नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) क्षेत्र ने 2025 की पहली छमाही (जनवरी-जून) में 24.4% की रिकॉर्ड तेजी दर्ज की है। रॉयटर्स द्वारा संघीय ग्रिड नियामक के डेली लोड डिस्पैच डेटा के विश्लेषण से यह जानकारी सामने आई है। इस अवधि में रिन्यूएबल पावर आउटपुट बढ़कर 134.43 बिलियन किलोवाट-घंटा (kWh) तक पहुंच गया।
जून में 17% से अधिक रही रिन्यूएबल की हिस्सेदारी
रिपोर्ट के अनुसार, हाइड्रोपावर को छोड़कर, केवल सौर और पवन ऊर्जा जैसी नवीकरणीय स्त्रोतों की हिस्सेदारी जून 2025 में 17% से अधिक रही, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है।
कोयला आधारित बिजली उत्पादन में गिरावट
कोयले पर आधारित बिजली उत्पादन, जो अभी भी भारत का प्रमुख ऊर्जा स्रोत है, 2025 की पहली छमाही में लगभग 3% घटा है। यह गिरावट ऐसे समय में आई है जब बिजली उत्पादन की समग्र वृद्धि दर सिर्फ 1.5% रही, जबकि 2024 में यह 5.8% थी।
गिरावट के प्रमुख कारण:
गिरावट का प्रमुख कारण समय से पहले मानसून और माइल्ड समर के चलते बिजली की मांग में कमी, आर्थिक गतिविधियों की धीमी गति, कोयले का घरेलू स्टॉक रिकॉर्ड स्तर पर, जिससे आयात में भी गिरावट है।
साल 2025 में 32 GW नई रिन्यूएबल क्षमता जुड़ेगी
ICRA में कॉरपोरेट रेटिंग्स के उपाध्यक्ष विक्रम वी के अनुसार, “भारत 2025 में लगभग 32 गीगावॉट (GW) रिन्यूएबल क्षमता जोड़ने जा रहा है, जो 2024 के 28 GW से अधिक है।” सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से मई 2025 तक 16.3 GW की नई सौर और पवन क्षमता जोड़ी जा चुकी है।
500 GW नॉन-फॉसिल फ्यूल लक्ष्य की ओर बढ़ता भारत
भारत 2022 तक 175 GW रिन्यूएबल लक्ष्य हासिल नहीं कर सका था, लेकिन अब उसका लक्ष्य 2030 तक 500 GW नॉन-फॉसिल फ्यूल क्षमता का है, जिसमें हाइड्रो और न्यूक्लियर भी शामिल हैं। वर्तमान में यह क्षमता 235.6 GW है। S&P ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स के अनुसार, “यह लक्ष्य संभव है, लेकिन हमारी बेस केस स्थिति में यह 2032 तक खिसक सकता है। ग्रिड का आधुनिकीकरण और ऊर्जा भंडारण (storage) में निवेश, रिन्यूएबल इंटीग्रेशन के लिए बेहद जरूरी हैं।”









