भारत की स्पेस इकोनॉमी 8 अरब डॉलर तक पहुंची…बढ़ता स्टार्टअप इकोसिस्टम

आने वाले वर्षों में गगनयान मिशन, भारत अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने जैसी उपलब्धियां भारत को वैश्विक अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद करेंगी।

भारतीय लोकतांत्रिक नेतृत्व संस्थान (Indian Institute of Democratic Leadership) द्वारा आयोजित ‘स्पेस-टेक फॉर गुड गवर्नेंस’ कॉन्क्लेव में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के उज्जवल भविष्य की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र लगभग 44 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो वर्तमान आकार की तुलना में लगभग पांच गुना वृद्धि होगी।

भारत की स्पेस इकोनॉमी 8 अरब डॉलर तक पहुंची

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार, डॉ. जितेंद्र सिंह ने नेशनल स्पेस इनोवेशन एंड एप्लीकेशंस (NSIL) और In-SPACe जैसी पहलों का जिक्र किया, जिन्होंने सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया है। इसके परिणामस्वरूप, भारत की स्पेस इकोनॉमी अब 8 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई है।

भारत बना वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “अब वह दौर समाप्त हो चुका है जब हम अन्य देशों से मार्गदर्शन लेते थे। अब भारत वह देश बन गया है जिससे दुनिया सीखती है।”

उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि भारत की अंतरिक्ष बजट में जबरदस्त वृद्धि हुई है। 2013-14 में 5,615 करोड़ रुपये के बजट से यह बढ़कर 13,416 करोड़ रुपये हो गया है, जो 138.93% की वृद्धि को दर्शाता है।

100वीं उपग्रह लॉन्चिंग और बढ़ता स्टार्टअप इकोसिस्टम

डॉ. सिंह ने बताया कि इसरो (ISRO) ने हाल ही में अपनी 100वीं सैटेलाइट लॉन्चिंग पूरी की, जिसमें NAVIC सैटेलाइट का प्रक्षेपण शामिल था। भारत में स्पेस स्टार्टअप की संख्या 1 से बढ़कर 300 से अधिक हो गई है, जिससे भारत वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में प्रमुख राजस्व अर्जित करने वाला देश बन गया है।

अब तक भारत ने 433 विदेशी उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं, जिनमें से 396 उपग्रह 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लॉन्च किए गए। इनसे 192 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 272 मिलियन यूरो का राजस्व अर्जित किया गया है।

गगनयान मिशन और भविष्य की अंतरिक्ष योजनाएं

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की आगामी अंतरिक्ष योजनाओं को साझा करते हुए बताया कि गगनयान मिशन के परीक्षण 2025 के अंत तक शुरू होंगे। यह भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन होगा।

  • चार अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया गया है, जिनमें से एक को पहले ही अमेरिका ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर आमंत्रित किया है।
  • भारत ने 2035 तक ‘भारत अंतरिक्ष स्टेशन’ (Bharat Antariksh Station) स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।
  • 2040 तक भारत अपना पहला अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी: सुशासन में क्रांतिकारी बदलाव

डॉ. सिंह ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष तकनीक अब सिर्फ रॉकेट लॉन्चिंग तक सीमित नहीं है। यह सरकारी कार्यों में पारदर्शिता, शिकायत निवारण और नागरिक सहभागिता को बढ़ावा देकर सुशासन को एक नई दिशा दे रही है।

उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष तकनीक की वजह से:
✔ भ्रष्टाचार की संभावनाएं कम हो रही हैं।
✔ कार्यों में समय सीमा का पालन अधिक अनुशासित रूप से किया जा रहा है।
✔ नौकरशाही में लालफीताशाही (red tape) कम हो रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को आम नागरिकों के जीवन को सरल बनाने में अहम भूमिका निभाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

कृषि क्षेत्र में अंतरिक्ष तकनीक का योगदान

डॉ. सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष तकनीक भारत की कृषि व्यवस्था को आधुनिक बनाने में अहम भूमिका निभा रही है। यह निर्णय लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने के साथ-साथ मौसम पूर्वानुमान, संचार, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और राष्ट्रीय सुरक्षा में भी सहायक सिद्ध हो रही है।

भारत बना क्षेत्रीय अंतरिक्ष शक्ति

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि भारत के पड़ोसी देश अब भारत के उपग्रह प्रणाली पर निर्भर होते जा रहे हैं। इससे भारत की स्थिति एक क्षेत्रीय अंतरिक्ष शक्ति के रूप में और अधिक मजबूत हो रही है।

निष्कर्ष

भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रहे विकास ने न केवल वैज्ञानिक और आर्थिक क्षेत्र में बल्कि सुशासन और राष्ट्रीय सुरक्षा में भी क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। आने वाले वर्षों में गगनयान मिशन, भारत अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने जैसी उपलब्धियां भारत को वैश्विक अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद करेंगी।

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