
भोपाल : सुबह की पहली किरण जब भोपाल की झीलों पर पड़ती, तो उनका प्रतिबिंब नए विकसित हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर की चमक के साथ मिल जाता। यह सिर्फ़ इमारतों का विकास नहीं था, बल्कि एक नए युग की शुरुआत थी। यह वह मध्य प्रदेश था, जिसे भारत के औद्योगिक नक्शे पर सुनहरे अक्षरों में लिखा जाना था।
परिवर्तन की नींव
2025 में, मध्य प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान, अडानी ग्रुप ने राज्य में ₹1,10,000 करोड़ के भारी निवेश की घोषणा की थी। इस निवेश का उद्देश्य पंप स्टोरेज, सीमेंट, खनन, स्मार्ट मीटर और थर्मल ऊर्जा में विस्तार करना था, जिससे 2030 तक 1.2 लाख से अधिक नौकरियां पैदा होने वाली थीं।
अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने इस अवसर पर कहा था, “ये केवल निवेश नहीं हैं, यह साझा विकास की एक यात्रा है, जो मध्य प्रदेश को औद्योगिक और आर्थिक विकास का राष्ट्रीय नेता बनाएगी।” इस यात्रा की शुरुआत पहले ही हो चुकी थी, क्योंकि अडानी ग्रुप ने पहले ही राज्य में ₹50,000 करोड़ से अधिक का निवेश कर ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स और कृषि-व्यवसाय को मजबूत किया था। लेकिन यह तो केवल शुरुआत थी।
नए मध्य प्रदेश की झलक : वर्षों में, यह निवेश एक वास्तविकता में बदल गया।
भोपाल और इंदौर के बीच एक ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी विकसित होने लगी। यहाँ तकनीकी नवाचार, हरित ऊर्जा और डिजिटल व्यवस्थाओं का अनूठा संगम था।
जबलपुर में एक नया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा विकसित किया गया, जिसने न केवल राज्य की कनेक्टिविटी को वैश्विक स्तर पर बढ़ाया, बल्कि व्यापार और पर्यटन में भी बड़ा योगदान दिया।
सिंगरौली की कोयला गैसीकरण परियोजना भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हुई।
इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभ राज्य के युवाओं और स्थानीय नागरिकों को हुआ। इंजीनियरों को नई परियोजनाओं में काम मिला, किसानों को उन्नत बाजार सुविधाएँ मिलीं और छोटे व्यापारियों के लिए नए अवसर खुले।
समाज के लिए एक तोहफा
गौतम अडानी सिर्फ़ औद्योगीकरण तक सीमित नहीं थे। उन्होंने इसी वर्ष अपने बेटे जीत अडानी की शादी के अवसर पर ₹10,000 करोड़ की सामाजिक दान राशि की घोषणा की, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास के लिए समर्पित थी। इससे दूरदराज़ के गाँवों में आधुनिक स्कूल स्थापित हुए, विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएँ बनीं और युवा पीढ़ी को प्रशिक्षित करने के लिए विशेष केंद्र खोले गए।
रीवा की अदिति, जो कभी एक छोटे से गाँव में पढ़ाई के लिए संघर्ष कर रही थी, अब भोपाल के एक नए डिजिटल शिक्षा केंद्र में अध्ययन कर रही थी।
बड़वानी के रोहित, जो कभी पारंपरिक खेती में सीमित थे, अब एग्रो-टेक स्टार्टअप चला रहे थे, जिससे कई और किसानों को फायदा हो रहा था।
2030: आर्थिक विकास की नई कहानी
साल 2030 में, जब गौतम अडानी फिर से भोपाल आएंगे, तो उन्होंने गर्व से कहा, “जो बीज हमने 2025 में बोया है, वह तबतक एक विशाल वटवृक्ष बन चुका होगा। लेकिन यह अंत नहीं, बल्कि नए युग की शुरुआत है।”