
Indian Navy Diving Support Vessel. भारतीय नौसेना ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। देश में ही डिज़ाइन और निर्मित पहला डाइविंग सपोर्ट वेसल INS निस्तार नौसेना के बेड़े में शामिल हो गया। इस जहाज को विशाखापट्टनम स्थित नेवल डॉकयार्ड में आयोजित एक भव्य समारोह में कमीशन किया गया। INS निस्तार न केवल तकनीकी दृष्टि से अत्याधुनिक है, बल्कि यह भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को मजबूत करने वाला मील का पत्थर भी है।
इस अत्याधुनिक जहाज का निर्माण हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) ने किया है। इसे आधिकारिक तौर पर नौसेना को 8 जुलाई 2025 को सौंपा गया था। INS निस्तार उन चुनिंदा जहाजों में शामिल है जो समुद्र की गहराइयों में जाकर बचाव और खोज अभियान (रेस्क्यू ऑपरेशन) को अंजाम दे सकते हैं।
कमांड और प्रेरणा का संगम
INS निस्तार के कमीशन समारोह में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी मौजूद रहे। इस मौके पर बोलते हुए एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “निस्तार न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि इसका नाम भी भारत की गौरवशाली नौसेनिक विरासत से जुड़ा है। 1971 के भारत-पाक युद्ध में ‘निस्तार’ नामक जहाज ने पाकिस्तानी पनडुब्बी PNS गाज़ी को खोज निकालने में मदद की थी। मुझे पूरा विश्वास है कि नया निस्तार उस परंपरा को आगे बढ़ाएगा।”
तकनीकी विशेषताएं जो INS निस्तार को खास बनाती हैं
- कुल वज़न: लगभग 10,000 टन
- लंबाई: 118 मीटर
- सैचुरेशन डाइविंग की क्षमता: 300 मीटर तक
- साइड डाइविंग स्टेज: 75 मीटर तक
- ROVs (रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल) की क्षमता: 1,000 मीटर गहराई तक
- डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल (DSRV) के लिए ‘मदर शिप’ के रूप में काम करेगा
स्वदेशी निर्माण की बड़ी छलांग
इस जहाज के 75% हिस्से स्वदेशी तकनीक और पुर्जों से निर्मित हैं। यह रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ पहल की एक बड़ी सफलता है। INS निस्तार को भारतीय रजिस्टर ऑफ शिपिंग (IRS) मानकों के अनुरूप तैयार किया गया है।
‘निस्तार’ नाम का अर्थ
संस्कृत में ‘निस्तार’ का अर्थ होता है ‘मुक्ति’ या ‘बचाव’। यह नाम इस जहाज के उद्देश्यों को पूरी तरह सार्थक करता है – गहरे समुद्र में फंसे जीवन को बचाना और अत्याधुनिक तकनीक से भारतीय समुद्री शक्ति को मजबूत करना।
नौसेना की ताकत में रणनीतिक बढ़त
INS निस्तार की तैनाती से भारतीय नौसेना को पनडुब्बी दुर्घटनाओं और गहरे समुद्री अभियानों में तत्काल और प्रभावी प्रतिक्रिया देने की क्षमता मिलेगी। यह दुनिया की उन चुनिंदा नौसेनाओं की सूची में भारत को शामिल करता है जो समुद्र की गहराइयों में 1,000 मीटर तक कार्य कर सकती हैं।









