
Jan-Dhan accounts: भारत ने वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) के तहत अब तक 55.02 करोड़ जन-धन खाते खोले जा चुके हैं। इनमें से 36.63 करोड़ खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। यह योजना 2014 में शुरू हुई थी और इसका उद्देश्य हर भारतीय को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ना है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को राज्यसभा में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह योजना उन क्षेत्रों में भी पहुंची है, जो पहले बैंकिंग सेवाओं से वंचित थे।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना का उद्देश्य
प्रधानमंत्री जन-धन योजना का मुख्य उद्देश्य सभी वयस्क भारतीयों को बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करना है, ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें। यह योजना “अधिकारहीन को बैंकिंग, असुरक्षित को सुरक्षा और कम सेवा प्राप्त क्षेत्रों में सेवा” देने के सिद्धांत पर काम करती है।
अन्य प्रमुख योजनाओं में भी सुधार
इसके अलावा, कई अन्य योजनाओं ने भी वित्तीय समावेशन में प्रगति की है, जो मुख्य रूप से गरीब और हाशिए पर स्थित लोगों को लाभ पहुंचा रही हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं ये हैं..
- प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना (PM Vishwakarma Scheme)
इस योजना के तहत पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को कौशल विकास, क्रेडिट और बाजार तक पहुंच प्रदान की जाती है। - प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (PMSVANidhi)
इस योजना के तहत कोरोना महामारी से प्रभावित स्ट्रीट वेंडरों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। - प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY)
इस योजना के तहत 50.30 करोड़ लोगों को दुर्घटना बीमा का लाभ मिला है। - प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY)
इस योजना के तहत 23.21 करोड़ लोग जीवन बीमा से जुड़े हैं, जिससे उन्हें मृत्यु पर 2 लाख रुपये का बीमा मिलता है। - अटल पेंशन योजना (APY)
इस योजना के तहत 7.49 करोड़ लोग पेंशन योजना से जुड़े हैं, जो उन्हें रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन प्रदान करती है। - प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY)
इस योजना के तहत 52.07 करोड़ लोन स्वीकृत किए गए हैं, जिससे छोटे व्यवसायों को वित्तीय सहायता मिली है। - स्टैंड अप इंडिया योजना (SUPI)
इस योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों को ऋण प्रदान किया गया है, ताकि वे अपनी खुद की कंपनियां शुरू कर सकें।
इन योजनाओं के माध्यम से भारत ने वित्तीय समावेशन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोगों को आर्थिक सुरक्षा और समृद्धि का मौका मिल रहा है।









