आज प्रतिष्ठित आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती है। इस दिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रांची में भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल हुए।
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, आज़ादी के इस अमृतकाल में देश ने तय किया है कि भारत की जनजातीय परंपराओं को, शौर्य गाथाओं को देश अब और भी भव्य पहचान देगा। इसी क्रम में ऐतिहासिक फैसला लिया गया है कि आज से हर वर्ष देश 15 नवंबर यानी भगवान विरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाएगा।
पीएम मोदी बोले, आज के ही दिन हमारे श्रद्धेय अटल जी की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण झारखण्ड राज्य भी अस्तित्व में आया था। ये अटल जी ही थे जिन्होंने देश की सरकार में सबसे पहले अलग आदिवासी मंत्रालय का गठन कर आदिवासी हितों को देश की नीतियों से जोड़ा था। आधुनिकता के नाम पर विविधता पर हमला, प्राचीन पहचान और प्रकृति से छेड़छाड़, भगवान बिरसा जानते थे कि ये समाज के कल्याण का रास्ता नहीं है। वो आधुनिक शिक्षा के पक्षधर थे, वो बदलावों की वकालत करते थे, उन्होंने अपने ही समाज की कुरीतियों के, कमियों के खिलाफ बोलने का साहस दिखाया।
प्रधानमंत्री ने कहा, भगवान बिरसा ने समाज के लिए जीवन जिया, अपनी संस्कृति और अपने देश के लिए अपने प्राणों का परित्याग किया। इसलिए वो आज भी हमारी आस्था में, हमारी भावना में हमारे भगवान के रूप में उपस्थित हैं। हम सबके लिए भगवान बिरसा एक व्यक्ति नहीं, एक परंपरा हैं। हम उन्हें ऐसे ही धरती आबा नहीं कहते। धरती आबा बहुत लंबे समय तक इस धरती पर नहीं रहे थे लेकिन उन्होंने जीवन के छोटे से कालखंड में देश के लिए एक पूरा इतिहास लिख दिया।